सनद रहे फेंक न्यूज और दुष्प्रचार में हो सकती है जेल
उज्जैन। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अफवाह या दुष्प्रचार कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। सोशल साइट्स के बढ़ते क्रेज में छोटी- छोटी सूचनाएं भी पलक झपकते जन- जन तक पहुंचती है। सूचनाओं के प्रसार के इन माध्यमों का जितना असर पॉजीटिव होता है तो उससे कहीं अधिक निगेटिव भी है। इधर कई फितरती इस तरह की खबरें या पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल करने से बाज नहीं आ रहे। हालांकि निर्वाचन आयोग भी सख्त नजर आ रहा है। आयोग ने फेक न्यूज की निगरानी के लिए विशेष दल तैयार कर रखा है। इसके अंतर्गत जिलों में तो निगरानी अधिकारी तैनात रहेंगे ही। आयोग स्तर पर तैनात अमला फेंकन्यूज या दुष्प्रचार से संबंधित सोशल साइट के पोस्ट जमा करेंगे। फेक न्यूज को लेकर कुछ सजा के भी प्रावधान हैं। इसके अंतर्गत आने वाले मामलों में 3 साल तक कैद की सजा भी हो सकती है। सोशल मीडिया में गलत जानकारी तैयार करना तो अपराध में आता है, साथ ही इसको फैलाने में सहयोग करने वाले भी समान रूप से अपराधी होते हैं। भादंवि धारा 506 बी के अंतर्गत दुष्प्रचार, फेक न्यूज या भड़काने के इरादे से कोई बात कहना या प्रकाशित करना आता है। इसमें आरोपित को तीन वर्ष की कैद या अर्थदंड या फिर दोनों ही सजा मिल सकती है। धारा 125, आरपी एक्ट के अंतर्गत चुनाव के दौरान दुष्प्रचार फैलाने पर सजा के प्रावधान है। आईटी एक्ट, सोशल साइट में अभद्र और झूठी जानकारी का प्रचार-प्रसार करना भादंवि की धारा 153अ, धर्म, जाति, भाषा या जन्म स्थान के आधार पर किसी दो ग्रुपो में सद्भाव बिगाड़ना आदि है। इसके अतिरिक्त अन्य भी धाराएं हैं जिसमें दंड के प्रावधान हैं।