नही मिल रहा टीडीआर, 120 वर्गफीट के मकान का नक्शा पास करने का शुल्क 45 हजार
दैनिक अवंतिका(इंदौर) स्मार्ट सिटी के तहत पुराने इंदौर में किए गये विकास कार्य अब यहां के रहवासियों को भारी पड़ने लगे हैं परिणाम यह हो रहा है कि कई छोटे मकानों के मालिक अपना मकान नहीं बनवा पा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसके लिए बड़ी राशि खर्च करना पड़ रही है। एक हजार वर्गफीट के भवन निर्माण के लिए 35 से 40 लाख का शुल्क लग रहा है। दूसरी ओर सरकार ने अभी तक टीडीआर को लेकर कोई पालिसी जारी नहीं की है ,जिसके कारण पांच हजार से अधिक तोड़े गये मकानों के मालिक अपने मकानों के टूटने का भी कोई लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसी इलाके के नया पीठा क्षेत्र में रहने वालों की स्थिति तो बेहद दयनीय हो गई है। छोटे मकानों के नक्शे पास होने पर भी पार्किंग फीस के रूप में 55से 60 हजार रुपये मांगा जा रहे है। स्मार्ट सिटी के राजवाड़ा से लेकर बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार का कार्यक्रम चलाया था ,जिसके तहत बड़ी तादाद में सड़कों के चौड़ीकरण के लिए मकानों को तोड़ा गया था। नौ साल पहले इस अभियान में 5000 मकान प्रभावित हुए थे जिन्हें आश्वासन दिया था कि जितनी उनकी सड़क जा रही है। उसके बदले उन्हें टीडीआर सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इससे वे इसे बेचकर अपनी क्षेत्र भरपाई कर लेंगे और शेष भूमि पर नक्शा बनाने में मदद करेंगे, परंतु सरकार ने आज तक ऐसी कोई भी योजना लागू नही की। इधर नक्शे पास करवाना भी बड़ी मुसीबत हो गया हैं। यहां अधिकांश लोग अपने छोटे मकानों में नीचे दुकान लगाकर ऊपर के मंजिलों में आवास बनाते हैं , परंतु अब निगम के नये नियमों के तहत इस में नक्शा पास करवाना बहुत बड़ी समस्या हो गया है। पिछले दिनों 330 नक्शा पास वर्गफीट के नयापीठा में नक्शा पास करवाने में कराने के लिए पहुंचे। भवन मालिक अरशद खान के हाथ पांव फूल गये ।जब उन्हें पता लगा कि अनुज्ञा के लिए आज तक उन्होंने जो आवेदन दिया है। उस पर इसे लेकर नक्शा पास करवाने के लिए 55 हजार कोई योजना रुपये शुल्क लगेगा। वहीं 10 बाय 12 सरकार ने के मकान के लिए 45 हजार रुपये नहीं जारी पार्किंग शुल्क लिया जा रहा है। इधर मामले में नगर निगम का कहना है कि मकानों के शहर के मध्य क्षेत्र में अब 700 एकड़ अधिक क्षेत्र को स्मार्ट सिटी में घोषित किया गया है। इसके लिए नियमानुसार दरें तय की गई है।