हस्त नक्षत्र के प्रीति योग में बन रहा है धनतेरस का दुर्लभ शुभसंयोग, व्यापारी-व्यवसायियों के लिए साबित होगा वरदान यह वर्ष

दैनिक अवन्तिका(उज्जैन)आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि के पूजन से आरोग्यता के साथ सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। हस्त नक्षत्र के प्रीति योग में इस बार धनतेरस का दुलर्भ शुभसंयोग बन रहा है। व्यापारी-व्यवसायियों के लिए यह वर्ष वरदान साबित होगा।
ज्योतिर्विद पं अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का समुद्र से प्राकट्य पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी को मनाया जाता है। आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि की पुजन कर यम दीप प्रज्ज्वलित कर दान किया जाता है। इस पूजन से असामायिक मृत्यु भय से मुक्त होकर व्यक्ति सुख समृद्धि आरोग्यता को प्राप्त करता है। ये पर्व शिव पार्वती व्रत पुजन प्रदोषव्यापिनी कोषाध्यक्ष कुबेर के पुजन तिथि में मनाने का विधान है। पंचांग के अनुसार, इस साल 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से धनतेरस की शुरूआत होगी और 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए प्रदोष काल संध्या पुजन का महत्व है। सुख समृद्धि के साथ सौभाग्य में होगी ज्योतिर्विद पं अजय कृष्ण शंकर व्यास पंरपरागत के अनुसार इस बार 10 नवंबर को ही धनतेरस मनाया जाएगा। शुक्रवार और कंपनी व्यापार व्यवसाय के दृष्टिकोण से कन्या राशि के चंद्रमा धन तेरस पर्व सोना चांदी, इलैक्ट्रोनिक, वस्त्र, नौकरी, व्यवसायिक, वाहन, प्रापर्टी डीलर को इस दिन व्रत से सुख समृद्धि आती है।सौभाग्य और दांपत्य जीवन में भी सुख बढ़ता है शुभ चौघड़िया 12.10 से 1.34, चर सायं 4.20 से 5.44 तक रहेगा। वहीं अतिश्रेष्ठ मुहुर्त वृषभ लग्न संध्या अतिश्रेष्ठ मुहुर्त 6.05 से 8.05, रात्रि लाभ चौघड़िया रात्रि 8.57 से 10.34, रात्रि शुभ चौघड़िया 12.11 से 1.47 तक क्रय विक्रय पुजन के लिए वरदान है। ऐसे करें पूजन मां लक्ष्मी का मिलेगा आशीर्वाद मुहुर्त में दोनों हाथ जोड़कर, प्रार्थना पुजन कर आह्वान करें देवी-देवताओं को फूल, अक्षत, धूप, दीप, भोग अर्पित करें। इसके बाद भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें। इसके अलावा शाम के समय प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाएं और धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें।ं