गजलक्ष्मी, लक्ष्मी मंदिर में लगेगा श्रद्धालुओं का तांता

दैनिक अवंतिका(उज्जैन) गजलक्ष्मी, लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक हैं. उज्जैन के मध्य सराफा बाजार में मां गजलक्ष्मी के मंदिर है जहां चार दिवसीय दीप पर्व पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि गजलक्ष्मी का मंदिर करीब 2 हजार वर्ष पुराना है. इस मंदिर का वर्णन स्कन्द पुराण में भी मिलता है. गजलक्ष्मी माता राजा विक्रमदित्य की राजलक्ष्मी भी कहलाती थी. हाथी पर सवार लक्ष्मी माता की दुर्लभ प्रतिमा विक्रमादित्य के समय काल की है जो अपने आप में अद्वितीय है. ग्रह लक्ष्मी और गजलष्मी का विशेष सयोंग बनता है यह मंदिर मे दिवाली के दूसरे दिन काफ़ी भीड़ देखने को मिलती है, सुहागपड़वा पर मंदिर का विशेष महत्व रहता है.साल मे एक बार ऐसा सयोंग बनता है ज़ब गजलष्मी के दर्शन कार्नर ग्रहलष्मी यहा लाखों की संख्या मे देखने को मिलती है सुबह से लेकर श्याम तक यहा आधा उज्जैन दर्शन करने आ जाता है. जिनकी संख्या लाखों मे होती है. इस बार भी लगभग चार लाख श्रद्धालूओ के दर्शन करने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रसाद मे बटता है खास सिंदूर भगवान का कोई भी प्रसाद हो वो खास रहता है. लेकिन यहा ऐसी मान्यता है ये प्रसाद साल भर मे केवल एक दिन ही मिलता है. साल भर माता के दर्शन करने हज़ारो भक्त आते है. वो जो माता को सिन्दूर चढ़ाते है. वो मंदिर के पुजारी दुवारा इकठा कर साल भर मे एक बार सुहाग पड़वा के दिन बाटा जाता है. ऐसी मान्यता है की ये सिन्दूर ले जाने से घर मे मा लक्ष्मी का वास बना रहता है. इसलिए यहा दूर दूर से श्रद्धालु यह सिन्दूर का प्रसाद लेने आते है. 2100 लीटर दूध से होगा अभिषेक हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दिवाली के दिन गज लक्ष्मी मंदिर में माता का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया जायेगा. यह अभिषेक करने श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं व शाम को माता को छप्पन भोग लगाया जाएगा.