एक्सपायर्ड जीवन रक्षक दवाइयां मिली कचरे के ढेर में…सिविल सर्जन ने बैठाई जांच

उज्जैन। जिला अस्पताल के बाल स्वास्थ्य कार्यलय जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीआईसी) के पीछे नॉन एक्सपायर्ड जीवन रक्षक दवाइयां कचरे में फेंकने का मामला सामने आया है। सिविल सर्जन ने पुरे मामले को लेकर जांच बैठा कर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।

बताया जा रहा हे की दवाइयां जिला अस्पताल के स्टोर रूम की है। दरअसल मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मरीजों को नि:शुल्क वितरण के लिए जिला अस्पताल को प्रदाय की गई माइक्रॉन फार्मास्यूटिकल की त्वचा और महिलाओं में होने वाले संक्रमण के अलावा अन्य व्याधियों के उपचार के उपचार के लिए दी जाने वाली दवाइयां डीआईसी भवन के पीछे कचरे में फेंक दी गई है। गौरतलब है कि सरकार गरीबों को निशुल्क उपचार देने के लिए करोड़ों रुपए की दवाइयां सरकारी अस्पताल को प्रदाय करती है। इसके बावजूद सैकड़ों लोग दवाइयों के लिए भटकते हैं। सरकारी अस्पताल में उचित देखभाल नहीं मिलने की शिकायतें आम हैं इसलिए लोग कर्ज लेकर भी निजी अस्पतालों में उपचार कराने से नहीं कतराते हैं। इधर कुछ गैर जिम्मेदार सरकारी मुलाजिम इन जीवन रक्षक दवाइयों को कूड़े में फेंक देते हैं। डीआईसी के पीछे बड़ी संख्या में यह दवाइयां पड़ी हुई है। इस मामले को लेकर कहानी डॉ एवं अधिकारियों से चर्चा करने की हमारे द्वारा कोशिश की गई पर अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया।

रिपोर्ट विकास त्रिवेदी 

Author: Dainik Awantika