पीथमपुर के कई उद्योगों के सामने खड़ा हो रहा है आर्थिक संकट। रुपये की गिरती कीमत के कारण उद्योगों को हो रहा है भारी नुकसान
दैनिक अवंतिका(इंदौर) डॉलर के मुकाबले रुपए की दुर्दशा होने के बाद 83.28 रुपये से ऊपर कीमत बने रहने से पीथमपुर के कई उद्योगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो रहा है। निर्यात करने वाले कई उद्योगपति रुपये की कीमत गिरने के कारण 6 से 8 प्रतिशत तक अतिरिक्त राशि खर्च कर रहे हैं जिससे उद्योगों को तो नुकसान हो ही रहा है। साथ ही निर्यात सामान की लागत में उन्हें नुकसान पहुंचा रही है।पीथमपुर से अमेरिका, ईरान, इराक, रूस, अफ्रिकी देशों सहित कई देशों में निर्यात किया जाता है। आने वाले सामान की कीमत भी और बढ़ गई है। पीथमपुर से यार्न, इंसुलेटर, ग्रेफाइट रॉड, फूड प्रोडक्ट, दवाईयाँ सहित कई उत्पादों का निर्यात होता है। इसके कारण सामान की लागत भी बढ़ रही है, जबकि कीमते नीचे जा रही है। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के एक बड़े उद्योगपति ने बताया कि रुपये की हालत बिगड़ने के साथ ही उद्योगों की हालत भी लगातार बिगड़ रही है। पीथमपुर और मंडीदीप दोनों से मिलाकर पच्चीस हजार करोड़ों रुपये का सालाना नियत हो रहा है। डॉलर के रेट बढ़ने के बावजूद फिलहाल विदेशी करेंसी आसानी से उपलब्ध हो रही है, परंतु फिर भी आयात करने वाले उद्योगों को ज्यादा डॉलर चुकाना पड़ रहा है। इसके चलते सामान की लागत भी कम हो गई है। वहीं जिन उद्योगों को इंजीनियरिंग कंपोनेंट, इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर, हैवी मशीनरी का रॉ मटेरियल आयात करना पड़ रहा है। उनकी हालत और ज्यादा खराब हो गई है। इस मामले में अन्य उद्योगपतियों का कहना है कि पिछले साल 110 करोड़ के खिलौने चीन से आयात हो गये। इस तरह की वस्तुओं पर तुरंत रोक लगाई जाना चाहिए। डॉलर की तेजी से उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। हालांकि मार्केट एक्सपर्ट आदित्य जैन का कहना है कि एम्पोर्ट सामान तो महंगा हो ही रहा है। कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से पेट्रोल डीजल के दाम भी लगातार बढ़ रहे है। इसके चलते खुदरा महंगाई का असर अगले छह माह तक दिखाई देगा। होम लोन और आटो लोन भी महंगे होना तय है। पेट्रोल, डीजल के खर्च से आम आदमी को भारी नुकसान हो रहा है।