इमरजेंसी केयर यूनिट में बेड की किल्लत से मासूम मरीजों की फजीहत। चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय की व्यवस्थाएं वेंटिलेटर पर
दैनिक अवंतिका(इंदौर) प्रदेश के एकमात्र सबसे बड़े चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय की व्यवस्थाएं जिम्मेदारों की लापरवाही एवं अनदेखी के चलते वेंटिलेटर पर है। हालात यह है कि वर्षों से इमरजेंसी केयर यूनिट में बेड की किल्लत बनी हुई है, इसलिए कई बार मासूम मरीजों को रैफर भी करना पड़ता है। बावजूद इसके इस ओर कोई ध्यान देने के लिए ही तैयार नहीं है।प्रदेश ही नहीं, मध्यभारत के सबसे बड़े सरकारी चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में रोजाना मासूम मरीजों को लेकर उनके परिजन पहुंचते हैं। यहां पर रोजाना कई बच्चे भर्ती भी होते हैं और गंभीर स्थिति वाले बच्चों को पीडियाट्रिक इमरजेंसी केयर यूनिट (पीआईसीयू) में रखा जाता है। विडंबना यह है कि यहां पर पीआईसीयू में मात्र 12 बेड ही हैं। चूंकि, यहां पर चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय शहर और प्रदेश ही नहीं बल्कि आसपास के अन्य राज्यों के लोग भी अपने बीमार बच्चों का इलाज करने के लिए पहुंचते हैं और जब उन्हें इस समस्या से दो-चार होना पड़ता है तो उनकी परेशानी और बढ़ जाती है। अभी क्या है हालात..? 120 बेड की क्षमता वाले शासकीय चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय व अनुसंधान केंद्र में पोषण पुनर्वास केन्द्र, पीआईसीयू एवं थैलीसीमिया वार्ड का संचालन हो रहा है। यहां पर पीआईसीयू में तीन वेंटीलेटर की सुविधा उपलब्ध है और मात्र 12 बेड हैं। इस कारण बेड की किल्लत बनी रहती है और कई बार गंभीर मासूम मरीजों को एमवाय हास्पिटल रैफर करना पड़ता है। इस दौरान कभी स्ट्रेचर नहीं मिलने तो कभी आक्सीजन सिलेंडर के लिए मासूम मरीजों के परिजनों को परेशान होना पड़ता है। यहां पर 30 बिस्तरों का पीआईसीयू बनाया गया है, आर्थो विभाग में इसे शिफ्ट करने की प्लानिंग थी और आर्थो विभाग को एमवायएच शिफ्ट करना था। इसी बीच चाचा नेहरू अस्पताल बिल्डिंग को भी सात मंजिला बनान का प्रस्ताव आ गया और सारी योजनाएं धरी की धरी रह गईं। फजीहत मासूम मरीजों और उनके परिजनों की हो रही है।