चेतन की दिखावे की चमक, मोहन के शब्द गलत..बात सही..
उज्जैन । उज्जैन उत्तर –दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख दल के प्रत्याशियों को लेकर मतदाता ने अपने मनरूपी धर्मकांटे को टटोलना शूरू कर दिया है। विचार में प्रत्याशी की खूबियां ,खामियां सामने लाने और उनका भान करने की शुरूआत कर दी है।जनसंपर्क और प्रचार –प्रसार के दौरान प्रत्याशियों के बोल को मतदाता भान में लाया है। कश्मकश के तहत निर्णय लिया गया है। रात तक इस पर विचार होगा और शुक्रवार को अंतिम निर्णय पर मतदाता अमल करेगा।
उज्जैन दक्षिण-उत्तर विधानसभा क्षेत्र …मतदाताओं के मनरूपी धर्मकांटे के विचार पर आया प्रत्याशी ,आज अंतिम निर्णय..
विधानसभा चुनाव के लिए गुरूवार को मतदाता ने मनरूपी धर्मकांटे पर क्षेत्र के विधानसभा प्रत्याशियों को विचार पर लिया है। इस दौरान मतदाता ने जनसंपर्क ,प्रचार-प्रसार के दौरान प्रत्याशियों की तमाम बातों और उनके किए गए वादों और उनके बारे में सूनी गई बातों को विचार में रखा और कश्मकश पूर्ण निर्णय की स्थिति में मतदाता आया है। मतदाता का अंतिम निर्णय शुक्रवार को सुबह 07 बजे से शाम 06 बजे के बीच इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में बंद होगा। अपने विचार के दौरान मतदाता ने कई बार प्रत्याशियों से परिचितों को भी खंगाला और उनके भूतकाल ,वर्तमान को भी उसी पर प्रत्याशी का और मतदाता का भविष्य निर्भर होगा।
दक्षिण को लेकर चेतन का ज्ञान कमजोर, डा. मोहन की बातों में दम..-जनसंपर्क,प्रचार-प्रसार और बोल को लाया मतदाता अपने भान में, कश्मकश में निर्णय किया..
उज्जैन दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार चेतन यादव को लेकर उनके प्रतिद्वंदी के शब्द भले ही गलत हों लेकिन बात सही कही गई है। उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र को लेकर उन्होंने चेतन के ज्ञान में कमजोर स्थिति बताई है। उनके पास क्षेत्र के विकास को लेकर कोई धरातली योजना नहीं है। डा. मोहन में कई बुराई सामने आई हैं लेकिन कट्टर सनातनी पार्टी से होने का लाभ उन्हें मिलता है।
चेतन ने हडताल पर बैठे रेलवे कर्मचारियों को साधने के लिए कहा है कि वे विधायक बने तो लोको पायलट के सभी पद वापस उज्जैन लाएंगे। इस मामले में भाजपा प्रत्याशी अब तक चूप ही है।चेतन के करीबियों का दावा है कि वे भावुक बातें करते है लेकिन कभी किसी का मोबाइल नही उठाते। मोबाइल न उठाने की उन्हें बुरी आदत है जब मिलते है बातें अच्छी अच्छी करते हैं।इसके विरूद्ध् भाजपा प्रत्याशी मोबाईल उठाते हैं पर काम में कमजोर हैं। बातें ये भी अच्छी करते हैं। भाजपा के डा.मोहन के शब्द गलत हैं लेकिन उन्होंने बात सही कही है कि चेतन दक्षिण विधान सभा का भूगोल भी नही समझ पाए, कहां कितने गांव और क्षेत्रफल का भी पता नहीं है। डा.मोहन से वे राजनैतिक अनुभव में कमजोर हैं । यह भी जमीन के सौदों में कई को टोपी पहना चुके है । डा. मोहन के विरोध का फायदा लेना चाहते हैं उटपटांग बोलने में कम नही और कोई दूरदृष्टि नहीं। इसके विरूद्ध् डा. मोहन के बोल सामने आ चुके हैं। चेतन से मतदाताओं को विकास विकास की किसी धरातली योजना की अपेक्षा थी जो वे सामने नहीं रख सके। जिसका अभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। पूर्व में उनके साथ रहे कांग्रेसी तो यही बता रहे हैं कि वे ज्यादा समय किसी का साथ नहीं निभाते हैं अपना काम होने पर वे निकल जाते हैं फिर क्या अपना और क्या पराया। उन्हे हर किसी से मिलना पसंद नहीं चाहे उनकी किसी ने कितनी भी मदद की हो। यही उनकी बेरूखी का आलम रहता हैं। वैसे भी उनकी आदत रही है जब तक आदमी से काम तब तक का साथ बाकी बेकार बात नहीं करते हैं। मतदाताओं में चर्चा है कि कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह नरवर तक आए उन्होंने वहां घट्टिया क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में सभा ली लेकिन कुछ किलोमीटर दूर उज्जैन दक्षिण में सभा लेना उचित नहीं समझा है। इसे भी प्रत्याशी के संबंधों से जोडकर देखा जा रहा है।
मतदाता चर्चा में अनिल का नाम, त्रिवेदी के लिए कश्मकश-
उज्जैन उत्तर में भाजपा के प्रत्याशी अनिल जैन कालूहेडा की सहजता और शालीनता को मतदाताओं ने देख लिया है। मालीपुरा की सभा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आलूहेडा कहा और अन्य भी कई बातें सामने आई इस दौरान उपस्थित मतदाता ने अनिल जैन की सहजता ,शालीनता और सह्दयता को भी देखा वे पूरे समय अपने नेतृत्व के प्रति कृतज्ञ ही नजर आ रहे थे। उनकी यही खूबी मतदाताओं में चर्चा का विषय है। प्रचार –प्रसार के साथ ही जनसंपर्क में भी उन्होंने क्षेत्र में पहुंचने पर मतदाताओं को अपने इसी विशेष गुण से प्रभावित किया है। उत्ततर के अल्पसंख्यक क्षेत्र में भी उनके जनसंपर्क में यही सहजता रही जिससे मतदाताओं मे उनका जिक्र बना हुआ है। पहली बार चुनावी मैदान में होने के बाद भी मतदाता से उन्होंने नजदीकी बनाने का प्रयास कर उसे काफी सार्थक किया है। कांग्रेस की प्रत्याशी माया राजेश त्रिवेदी के लिए कश्मकश का दौर बराबर बना हुआ है। वे एक पक्ष को साधने में सफल होती हैं तो दुसरा पक्ष हाथ से छुटता नजर आता है। अंतिम दौर में भी उनके साथ यही सब चलता रहा है। ब्राम्हण मतदाताओं को साधने की उनकी कवायद सफल रही तो विधानसभा क्षेत्र के कुछ वार्डों में अल्पसंख्यक मतदाता उनसे छिटकते दिखें हैं। उन्हें पीपलीनाका क्षेत्र में सेंध के सफल होने की उम्मीद बरकरार है लेकिन यहां भी कालूहेडा के पक्ष में सिंधिया की सभा ने कश्मकश की स्थिति बना कर रख दी है।