दैनिक अवंतिका(इंदौर) विधानसभा चुनाव का मतदान संपन्न हो गया। मतदान में बीस साल बाद कांग्रेस सड़कों और मोहल्लों में दिखाई दी। ऐसा क्यों हुआ और परिणाम क्या आएगा? यह अलग चर्चा का विषय है। इस चुनाव यह जरूर हुआ कि नए पुराने कांग्रेसी आखरी समय तक मैदान में डटे रहे। लगभग हर बूथ पर टेबलें दिखाई दी। इसके साथ ही कांग्रेस के कार्यकर्ता भी एक जाजम पर दिखते रहे। कई ऐसे क्षेत्रों में कांग्रेस का जनाधार नहीं था। वहां पर भी कांग्रेस की टेबलों पर कार्यकर्ता डटे रहे।नई प्रदेश सरकार के गठन के लिए मतदान अब खत्म हो चुका है। इस बार शहर के करीब 1850 से ज्यादा मतदान केंद्रों पर अलग ही नजारा दिखाई दिया। जीती हुई सीटों की बात बाद में। पहले पिछले चुनाव में हारी या यूं भी कह सकते है कि लगातार कई चुनावों से जीत रही भाजपा के गढ़ में कांग्रेस बहुत सक्रिय दिखी। वैसे सक्रियता का कोई पैमाना नहीं है। फिर जिस तरह से कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता एक, दो, तीन, चार और पांच नंबर में नजर आए, वैसे पिछले बीस सालों में नजर नहीं आएं। खासकर बीजेपी की अयोध्या चार नंबर और भाजपा के अभेद गढ़ दो नंबर में एक एक बूथ पर कांग्रेसी एजेंट मौजूद थे। वही बूथ के बाहर लगी मतदाता सूची और पर्ची की टेबल पर भी खासी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। इस बार कई सालों से लुप्त कांग्रेस के वे पुराने नेता और कार्यकर्ता नजर आए जो बरसों से घर बैठे थे या अपने काम ने व्यस्त हो चुके है। कांग्रेसियों की मौजूदगी को इस तरह से भी समझ सकते है कि कई जगह भाजपा की टेबल पर एक दो या चार कार्यकर्ता थे।उसके एवज में कांग्रेस की टेबल पर दस बारह लोग थे। वहीं विधानसभा एक और राऊ में दोनों विधायकों की सक्रियता ने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नेताओं को बड़ी मजबूती दी। वो इस चुनाव में ज्यादा मेहनत और ताकत से जुटे रहे। उक्त दोनों सीटों पर भाजपा को पसीने छूट गए, यह किसी से छुपा नहीं है।