-देशभर से आने लगे पशुओं का कारोबार करने वाले व्यापारी क्षिप्रा किनारे एकादशी से पूर्णिमा तक लगेगा गदर्भराजों का मेला
दैनिक अवंतिका(उज्जैन) देशभर में प्रसिद्ध गदर्भराजों (गधों) का मेला एकादशी से पूर्णिमा तक प्रतिवर्ष क्षिप्रा नदी किनारे लगाया जाता है।-20 से 45 हजार तक कीमत, फिल्मी सितारों के नाम से होगी खरीद-फरोख्त इस बार 23 नवबंर से इसकी शुरूआत हो रही है। उससे पहले पशुओं का कारोबार करने वाले व्यापारियों को आना शुरू हो गया है। 2 दिनों में यहां 4 से 5 हजार गदर्भराज और खच्चर पहुंच जाएगें।क्षिप्रा नदी किनारे कार्तिक मेला ग्राउंड के पास देवप्रबोधनी एकादशी से गधों का मेला लगाने की वर्षो पुरानी प्रथा चली आ रही है। धार्मिक नगरी में लगने वाला यह मेला देशभर में काफी प्रसिद्ध भी है। तीन दिन बाद मेले की शुरूआत होने जा रही है। जिसको लेकर देश के अलग-अलग राज्यों से पशुओं का कारोबार करने वाले व्यापारियों का आना शुरू हो चुका है। रविवार को दर्जनों की संख्या में गदर्भराज के साथ खच्चर मेला ग्राउंड के पास चहल-कदमी करते दिखाई दिये। 2 दिनों में हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों के पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। गधों का कारोबार करने वाले व्यापारी मुन्नालाल प्रजापत ने बताया कि जहां देशभर से व्यापारी यहां आते है, वहीं खरीददार भी अलग-अलग राज्यों से यहां पहुंचते है। पांच दिनों तक यहां सुबह से शाम तक खरीद-फरोख्त का सिलसिला बना रहेगा। फिलहाल 20 हजार से 45 हजार तक के गधे और खच्चर पहुंच चुके है। आधुनिक उपकरणों के युग में अब भी इन पशुओं का उपयोग सामान ढोने के लिये छोटे इलाकों में किया जाता है। गधे और खच्चर उबड़-खाबड़ स्थानों से ऊंचाई पर भी आसानी के साथ सामान लेकर पहुंच जाते है। अभिनेताओं के नाम से होती है पहचानगधों के मेले में पशुओं का नाम फिल्मी सितारों के नाम पर रखा जाता है। जैसे सलमान, शाहरुख, करीना, कैटरिना शामिल होते है। वर्षभर में प्रसिद्ध होने वाला बड़ानाम भी इन पशुओं को दिया जाता है। कारोबार के दौरान इन्हे प्रचिलीत नाम से ही पुकारा जाता है। खरीददार गधों और खच्चरों की कद-काठी के साथ उम्र देखकर बोली लगाते है। गधों की कीमत उसके दांत देखकर लगाई जाती है। इस अनूठे मेले को देखने के लिये शहरवासी भी अपने बच्चों के साथ पहुुंचते है। क्षिप्रा किनारे लगने वाले गधों के मेले से पशुओं का कारोबार करने वालों को काफी उम्मीद बनी रहती है।
इस बार कार्तिक मेले की उम्मीद कमपांच दिनों तक चलने वाले गधों का मेला समाप्त होते ही पूर्णिमा से क्षिप्रा नदी किनारे लगने वाले कार्तिक मेले की शुरूआत हो जाती है। लेकिन इस बार आदर्श आचार संहिता लागू होने और विधानसभा चुनाव के चलते अब तक कार्तिक मेले की अनुमति नहीं मिल पाई है। एक माह तक आयोजित होने वाले कार्तिक मेले में भी देशभर से व्यापारी और झूला करोबारी आते है। झूला कारोबारी तो कुछ दिन पहले ही मेला ग्राउंड पहुंच गये थे, उन्होने जगह आवंटित करने की गुहार भी नगर निगम अधिकारियों से लगाई थी। वहीं दुकान लगाने वाले व्यापारियों ने भी ऑफ लाइन दुकाने आवंटित करने की बात कहीं थी, लेकिन अब तक मेला आयोजित किये जाने का निर्णय नहीं लिया जा सका है।