कार्तिक में महाकाल की पहली सवारी निकली, दूसरी 27 को
उज्जैन। कार्तिक मास में भगवान महाकाल की सोमवार को नगर में पहली सवारी निकली। इस सवारी में श्रावण व भादौ मास की तरह बहुत अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ तो नहीं थी लेकिन फिर भी उत्साह नजर आया। जय महाकाल के जयकारों से सवारी मार्ग गूंज उठा।
इस बार कार्तिक मास में दो सवारी निकलेगी। दूसरी सवारी 27 नवंबर को आएगी। शाम 4 बजे सभामंडप में पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ सवारी शुरू हुई। मंदिर समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया चांदी की पालकी में भगवान महाकाल के स्वरूप मनमहेश अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। सवारी में पुलिस बैण्ड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आगे चल रहे थे। मंदिर से सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंची जहां क्षिप्रा के जल से महाकाल का अभिषेक किया गया। पूजन के बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त हुई।
पुलिस के सशस्त्र जवान…नई ड्रेस में नजर आए…
सवारी में पुलिस के सशस्त्र जवानों की जाे टुकड़ी निकली वे नई ड्रेस में थे। मार्ग में खड़े श्रद्धालुओंं ने जवानों पर फूलों की वर्षा कर उनका स्वागत किया। इस सवारी में भजन मंडलियां शामिल नहीं रहती है। इसलिए यह सवारी भी छोटी होती है। इस कारण सवारी मार्ग से जल्दी निकल जाती है।
भीड़ कम होने से आराम..से चली बाबा की पालकी…
कार्तिक की सवारी में भीड़ कम होने के कारण बाबा की पालकी बड़े आराम से चल रही थी। पालकी के साथ चलने वाले पंडे, पुजारी भी सहज रूप से चलते देखे गए। श्रावण-भादौ मास की सवारी में इतनी भीड़ होती है कि भारी भीड़ को चीरते हुए पालकी निकालना होती है। पुलिस प्रशासन के लिए यह चुनौती से कम नहीं।