कोरोना के बाद पहली बार धूमधाम से  पालकी में दर्शन देने निकले कालभैरव

– सिंधिया परिवार की ओर से चढ़ाई पगड़ी,  रात में समाप्त हुई सवारी

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। कोरोना के सभी प्रतिबंध समाप्त होने के बाद पहली बार कालभैरव की सवारी भैरवगढ़ में धूमधाम से निकली। सवारी से पूर्व भगवान कालभैरव को सिंधिया परिवार की ओर से भेजी गई पगड़ी धारण कराई गई। संतों व अधिकारियों ने पूजन कर पालकी उठाकर रवाना किया।

ढोल-ढमाकों के साथ शाम 4 बजे सवारी निकलना शुरू हुई। कालभैरव मंदिर के पुजारी धर्मेंद्र सदाशिव चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना के चलते पिछले दो वर्ष से तो तमाम प्रतिबंधों के चलते सवारी ही नहीं निकाली जा सकी। मंदिर परिसर में ही बाबा का पूजन कर घूमाकर सवारी की परंपरा का निर्वहन किया गया। इस वर्ष भैरव अष्टमी पर्व से पहले राज्य शासन द्वारा कोरोना से संबंधित सारे प्रतिबंध हटा लेने के बाद प्रशासन ने सवारी निकालने की अनुमति दी। सवारी में बैंड, ध्वज, भजन मंडलियां झांकी, पुलिस के जवान सहित भक्तगण शामिल हुए।

पालकी में बटुक स्वरूप में निकले, जेल के बाहर पूजा, कैदियों ने किए दर्शन

सवारी में पालकी में भैरवनाथ के बटुक स्वरूप में दर्शन हो रहे थे। सवारी मंदिर से शुरू होकर केंद्रीय जेल के बाहर पहुंची जहां जेल अधीक्षक व स्टॉफ के लोगों ने पूजन किया। कैदियों को भी भैरवनाथ के दर्शन कराए गए।

सिद्धवट मंदिर पर आरती-पूजा के बाद सवारी रात में कालभैरव लौटी

भैरवगढ़ की बस्ती का भ्रमण करते हुए सवारी सिद्धवट मंदिर पहुंची जहां आरती-पूजा के बाद रात में कालभैरव पहुंचकर समाप्त हुई। सवारी के पश्चात भैरवनाथ की आरती की गई व प्रसादी वितरण के साथ दो दिनी भैरव अष्टमी जन्मोत्सव का समापन किया गया।