डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर,भारतीय संविधान के पिता के नाम से अधिक जानते हैं

इंदौर। डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें हम भारत के नागरिक बाबासाहेब या भारतीय संविधान के पिता के नाम से अधिक जानते हैं, ने 6 दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली। समाज में डॉ. अंबेडकर के बहुमूल्य योगदान को याद करने के लिए, यह दिन मनाया जाता है। पूरे भारत में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इंदौर के समीप डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर जन्मस्थली महू पर आज हजारों की संख्या में डॉक्टर अंबेडकर के अनुयाई पहुंचे और बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित किए बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म महू में हुआ था और उन्हें भारत का संविधान रचयिता भी कहा जाता है बाबा साहब के अमूल्य योगदान को लेकर उन्हें बौद्ध गुरु भी माना जाता है उनके अनुयाई मानते हैं कि बाबा साहब अंबेडकर ने दलितों के लिए जो कार्य किए हैं वह अविस्मरणीय है उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है अनुयायियों का मानना है कि बुद्ध के तरह में पवित्र प्रभावशाली व्यक्तित्व थे यही कारण है कि उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है डॉ अंबेडकर नगर महू में उनकी जन्मस्थली पर देशभर के श्रद्धालु बाबा साहब को नमन करने पहुंच रहे हैं अनुयायियों का मानना है कि बाबा साहब ने सदैव भेदभाव सामाजिक कुरीतियों और दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर समय-समय पर आवाज उठाई थी नागपुर से आए एक दल ने बाबासाहेब अंबेडकर के चरणों में माल्यार्पण किया और उन्हें दलित का मसीहा भी बताया उन्होंने कहा कि हमें बाबा साहब के बताए हुए सिद्धांतों पर चलना चाहिए।