उज्जैन के संभागीय अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को बडा धक्का नहीं मिल सका… एनक्यूएएस का गुणवत्ता प्रमाण पत्र, न ही सुविधाएं
उज्जैन। उज्जैन के संभागीय स्तर के जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं को बडा धक्का लगा है। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड के मानकों पर अस्पताल की सेवाएं खरी नहीं उतर पाई हैं। इससे मिलने वाली अन्य सुविधाएं भी प्रभावित होंगी और नई सुविधाओं में भी कमी बनी रहेगी। बताया जा रहा है कि एनक्यूएएस के किसी भी मुद्दे पर जिला अस्पताल की सेवाएं अपना स्तर उच्च प्रमाणित नहीं कर पाई है। इससे उलट संभागीय मुख्यालय उज्जैन के मंदसौर जिले ने गुणवत्ता में अपना स्थान बनाया है।
इसे विडंबना कहा जाए या फिर लापरवाही की नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड प्रमाण पत्र में उज्जैन जिला अस्पताल का स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर मात खा गया है। जिला अस्पताल के 9 विभागों को राष्ट्रीय स्तर से आई टीम ने सिरे से जांचा था। इसके लिए अधिकारियों ने तैयारी भी की थी लेकिन हर स्तर पर ही उन्हें मात मिली है। सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि एक भी विभाग में उच्च स्तर अंक नहीं मिल पाए हैं। भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओ के उच्चतम गुणवत्ता स्तर के मापदंड की कसौटी पर संभागीय स्तर के जिला चिकित्सालय उज्जैन की स्वास्थ्य सेवाओं ने NQAS मानक के सभी विभागों के लिए अपनी तैयारी पूर्ण कर उच्च स्तर पर भेजी थी । जिसको मानक स्तर पर जांचने और कार्य गुणवत्ता का आंकलन करने हेतु सितम्बर 2023 में भारत सरकार के द्वारा गठित 3 सदस्यीय राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का दल आया था। लगातार 3 दिनों तक एन क्यू ए एस के मापदंड पर भेजी गई जानकारियों को कसौटी पर जांचा गया था। सभी विभागों को बिंदुवार 100 अंको के मानक स्तर पर देखा गया, कार्य व्यवस्था को लेकर स्टाफ के साथ जानकारी ली गई, रिकार्ड चेक किए गए थे , सभी तरह की पालिसी का अवलोकन किया गया था । आम जन और भर्ती मरीजों से अस्पताल की सेवा कार्य के बारे में सवाल किए जाकर जानकारी ली गई साथ ही अन्य भौतिक सत्यापन किए गए थे। हाल ही में जारी एन क्यू ए एस की सूची में उज्जैन का नाम सिरे से ही गायब है। सूत्र जानकारी दे रहे हैं कि एक भी विभाग में संभागीय स्तर का जिला अस्पताल सामान्य अंक से भी उपर नहीं उबर पाया। इसके पीछे एन क्यू ए एस के लिए काम कर रही टीम अधिकारियों में सबसे बडा समन्वय ,संपर्क ,एवं सहयोग का अभाव सामने बताया जा रहा है। हालत यह है कि परिणामों की जानकारी जिला अस्पताल की गुणवत्ता नियंत्रक को ही नहीं है कि उज्जैन एन क्यू ए एस के मामले में पूरी तरह से मात खा गया है। इससे उलट मंदसौर जिला राष्ट्रीय स्तर पर एन क्यू ए एस प्रमाणित हुआ है। कड़े मापदंडों पर खरे उतरते हुए मंदसौर जिला अस्पताल के सभी विभागों ने 70 से अधिक अंक हासिल किए हैं। मंदसौर ने सभी विभागों के औसत में 90 प्रतिशत अंको के साथ नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड प्रमाण पत्र प्राप्त किया है।
एन क्यू ए एस के साथ ये मिलता…
एन क्यू ए एस मिलने के साथ ही संभाग स्तर के जिला अस्पताल को लगातार 3 वर्ष तक तकरीबन 5 हजार की राशि प्रति बेड प्रति वर्ष के अनुसार प्राप्त होती। जिससे जिला अस्पताल की कार्य गुणवत्ता को बनाए रखने के साथ ही नई नई सेवाओ को आमजन को प्रदाय करने में काफी मदद मिलती ।इसके साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर जिला चिकित्सालय उन अस्पतालों की सूची में शामिल हो जाता जहां सुरक्षित प्रसव और उच्च गुणवत्ता की मातृत्व सुरक्षा का “लक्ष्य” दक्षता का प्रमाणिकरण तो होता ही इसके साथ ही एन क्यू ए एस प्रमाणित होने का प्रमाण पत्र भी रहता । गौरतलब है कि उज्जैन का जिला अस्पताल करीब 700 बिस्तरों से अधिक का है। इस मान से 3 वर्ष में 10 करोड 50 लाख की राशि यहां सुविधाएं बढाने और नई सुविधाओं को आमजन को देने के लिए राष्ट्रीय स्तर से मिलती।
उपर वेल बूटा पीछे पेंदा फूटा…
उज्जैन जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं एवं यहां के तमाम विभागों का काम उपर वेल बूटा एवं पीछे पेंदा फूटा की तर्ज पर चल रहे हैं। राजनैतिक प्रश्रय से बैठे अधिकारी अपनी मात को मात नहीं मान रहे हैं। इतने बडे प्रमाणिकरण में मात खाने के बाद भी यहां के हालात सुधार पर नहीं हैं।यहां मरीजों को इंदोर रैफर करने की असाध्य बीमारी लग चुकी है। निजी अस्पतालों में रैफर करना यहां लाईलाज बीमारी के रूप में सामने आता रहा है। प्रसुति गृह में पैसे मांगना और प्रसुताओं से अभद्रता यहां आम है। अब तक हुई तमाम शिकायतों की जांच के बावजूद इनका कोई निराकरण नहीं हो पाया है।स्वास्थ्य विभाग को सिंहस्थ 2016 में चरक का 7 मंजिला भवन अप टू डेट भवन मिल गया लेकिन आम जन की सेवा का उद्देश्य नहीं मिल सका है।जिला अस्पताल के हर विभाग की स्थिति यह है कि यहां काम कम और दिखावा ज्यादा हो रहा है। हाल ही में यहां सोनोग्राफी के लिए महिलाओं को कई दिनों तक इंतजार करने के मामले बाहर तक आए थे। अत्याधुनिक पैथालाजी लेब होने के बाद भी यहां कई जांचों से बचा जाता है।
-मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आप सीएमएचओ या सिविल सर्जन सर से जानकारी ले लें। मैं पहले सर से पूछ लेती हुं फिर आपको जानकारी देती हुं।
डा.मधु नीमा,गुणवत्ता नियंत्रक जिला अस्पताल उज्जैन
-तमाम विभागों की आधार भूत से लेकर सभी जानकारियां भेजी जाती है। भौतक सत्यापन होता है। टीम ने आकर जिला अस्पताल का निरीक्षण सत्यापन किया था। इस बार हम कुछ पाईंट से रह गए हैं। अगली बार पूरी तैयारी के साथ प्रयास करेंगे।
डा.दीपक पिप्पल,सीएमएचओ,उज्जैन