आइडीए की 27 मंजिला प्रदेश के स्टार्टअप पार्क की योजना धरी रह गई
मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने भी जमीन पर अपना दावा बताते हुए मांग रख दी
इंदौर। आइडीए ने स्कीम में शामिल जमीन टीसीएस – इंफोसिस को आवंटित की तो उनकी जगह सुपर कॉरिडोर पर दूसरी जमीन शासन ने आवंटित कर दी। आइडीए ने यहां निर्माण की योजना बनाई। इस बीच वन विभाग के साथ मेट्रो ने भी दावा ठोक दिया। सुपर कॉरिडोर पर 27 मंजिला प्रदेश के स्टार्टअप पार्क की योजना बनाई, लेकिन वह भी अनुमति के चक्कर में अटक गई। अब इस जमीन का उपयोग मेट्रो कंपनी करेगी। प्राधिकरण एक बार फिर खाली हाथ ही रह गया।
शहर विकास के लिए आइडीए फ्लाय ओवर बना रहा है, साथ ही स्टार्टअप पार्क, कन्वेंशन सेंटर की योजना भी बनाई, लेकिन अनुमति नहीं मिलने से यह अटक गई है। कुछ साल पहले शासन ने टीसीएस-इंफोसिस को सुपर कॉरिडोर पर जमीन दी थी। दोनों ही कंपनियों ने काम शुरू कर दिया। यह जमीन आइडीए की स्कीम की थी जिसे शासन के निर्देश पर कंपनियों को आवंटित किया गया।
शासन ने इस आईडीए जमीन के बदले सुपर कॉरिडोर के कॉर्नर पर करीब 100 एकड़ जमीन आइडीए को आवंटित कर दी थी। यह जमीन राजस्व व वन विभाग की थी, जिसे शासन ने आइडीए को दिया था। आइडीए ने मॉल व बड़े कन्वेंशन सेंटर की योजना बनाई, लेकिन इस बीच वन विभाग के साथ ही मेट्रो ट्रेन कॉर्पोरेशन ने जमीन पर दावा ठोक दिया। करीब 10 विभाग व मेट्रो की आपत्ति सामने आई है। 10 एकड़ जमीन वन विभाग ने अपनी बताकर जमीन के आवंटन पर आपत्ति ली है। जमीन के पास ही मेट्रो डिपो है जिसके विस्तार की योजना पर कॉर्पोरेशन काम कर रहा है। मेट्रो रेल कापोरेशन ने भी जमीन पर अपना दावा बताते हुए मांग रख दी जिसके कारण आइडीए की योजना धरी रह गई। आइडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा के मुख्य सचिव ने सभी विभागों के अफसरों को बुलाया है जिसमें जमीन का फैसला संभव है।
इसके बाद योजना पर काम शुरू होगा। 90 मीटर की ऊंचाई में अटका स्टार्टअप पार्क सुपर कॉरिडोर पर आइडीए ने 27 मंजिला पानी करीब 90 मीटर ऊंचाई के चार ट्वीन टॉवर का स्टार्टअप पार्क बनाने की योजना बनाकर हाई पावर कमेटी को भेजा था। सुपर कॉरिडोर पर 75 मीटर तक की ऊंचाई पर ही निर्माण को अनुमति है।
आइडीए ने मलेशिया व स्थानीय कंसलटेंट कंपनी से लंदन व हैदराबाद के स्टार्टअप पार्क की तर्ज पर बिल्डिंग बनाने की योजना बनाई। प्रथम फेज में 200 करोड़ का निवेश होना है। छह माह से ज्यादा का वक्त निकल गया है, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिली है। सीइओ रामप्रकास अहिरवार के मुताविक, मुख्य सचिव के सामने पक्ष रखकर अनुमति देने का आग्रह किया है।