आदेश तो निकाला पर अमल कराना भूल गये, महिला की सुरक्षा योजना की निकली हवा
इंदौर। मध्य प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए परिवहन विभाग ने सभी यात्री बसों में जीपीएस व पैनिक बटन लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन एक साल बाद भी इस पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पाया है। प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहीं 35 हजार यात्री बसों में रोजाना बड़ी संख्या में महिलाएं सफर करती हैं, लेकिन 30 प्रतिशत वाहनों में अभी भी जीपीएस व पैनिक बटन नहीं लगे हैं।
परिवहन विभाग से आदेश जारी होने के बाद आधा दर्जन से अधिक एजेंसियां भी तय कर ली गई थीं, लेकिन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य प्रदेशों की अपेक्षा जीपीएस व पैनिक बटन के दाम दोगुने होने से कई वाहन मालिकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे 100 प्रतिशत यात्री बसें भोपाल
यात्री बसों में एक साल बाद भी नहीं लगे पेनिक बटन
से पहले जीपीएस व पैनिक बटन लगाना अनिवार्य है।
बिना दोनों उपकरण के संबंधित यात्री वाहन की फिटनेस नहीं हो सकती है। फिर भी अभी तक 35 हजार में से करीब 10500 वाहनों में दोनों उपकरण नहीं लगे हैं। दरअसल नई बसों की फिटनेस दो वर्ष के लिए होती है।
वहीं छह से आठ वर्ष पुरानी बसों को फिटनेस प्रमाण पत्र एक वर्ष के लिए मिलता है। ऐसे में कई बस मालिक दोनों उपकरणों के लिए 14 हजार रुपये खर्च नहीं करते हैं।
बता दें कि वाहन मालिक अन्य प्रदेशों की तरह उपकरणों के दाम सात हजार रुपये तक करने की मांग शासन-प्रशासन से कर चुके हैं। वहीं मैजिक वाहन एसोसिएशन दोनों उपकरण लगवाने से मुक्त करने की मांग पर अड़े हैं।
जीपीएस और पैनिक बटन नहीं होने से बसों में
महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं पर उन्हें तत्काल पुलिस की मदद नहीं मिल पाती है। परिवहन विभाग के स्पष्ट आदेश हैं कि बसों सहित अन्य यात्री वाहनों में फिटनेस के पैनिक बटन होना जरूरी है।