सांवेर रोड स्थित जेल को 22 साल पूरे, आज भी अधूरी की अधूरी, 48 करोड़ से बढ़कर लागत अब 120 करोड़ तक पहुंची

 

 

इंदौर । सांवेर रोड पर स्थित निर्माणाधीन जेल पिछले 20 सालों से सरकार के उदासीनता की सजा भुगत रहा हैं। 2002 में इस जेल को बनाने की योजना पर काम करते हुए इसकी आधारशिला रखी गई थी। उस समय इस जेल को बनाने की अनुमानित राशि 48 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे।
तय समय में पूरा नहीं होने से अब इस पर खर्च तीन गुना यानि कि 120 करोड़ रुपए खर्च करने का बजट बना दिया। इसके बाद भी जेल अधूरी ही पड़ी है।

जेल में बंदियों की संख्या क्षमता से अधिक होने के कारण सन् 2002 में शासन ने सांवेर रोड स्थित 50 एकड़ पहाड़ी भूमि जेल विभाग को आवंटित की थी। यहां नई जेल का निर्माण जेल विभाग ने मप्र हाउसिंग बोर्ड से अनुबंध शुरु भी कर दिया था।
उस समय इस जेल के निर्माण पर करीब 18 करोड़ खर्च कर बाउंड्रीवाल के साथ ही 21 स्टॉफ क्वाटर्स के साथ ही जेल अधीक्षक के रहने के लिए फ्लेट बनाया जा चुका था। फिर अचानक काम रोक दिया गया था। उस समय काम रोकने का कारण बजट न होना बताया गया था। तब से अब तक यहां का काम अधूरा है।
अब यहां पर फिर से काम शुरु किया जाएगा। मगर इस बार बजट होगा 120 करोड़। जबकि अभी यहां प्रथम चरण का काम भी अधूरा है। ऐसे में नए वित्तीय वर्ष में जब तक राशि आवंटित होगी तब तक इसकी लागत मंहगाई के साथ और अधिक बड़ जाएगी। वर्तमान में जेल के नाम पर सिर्फ बाउंड्रीवाल और 16 बैरक ही बन पाए हैं। जबकि यहां पर 7 सौ से 8 सौ कड़ी के अनुपात से इसका निर्माण किया जाएगा।

अंडा सेल व आईसोलेशन सेल के साथ ही बनेंगे 12 टॉवर

जेल सूत्रों का कहना है कि जेल बाउंड्रीवाल छह मीटर ऊंची बनी है। यहां पर खूंखार कैदियों को रखने के लिए अंडा सेल और आईसोलेशन सेल भी प्रस्तावित हैं। अंडासेल तक पहुंचने के लिए चार स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था को पार करना होता हैं। वहीं पूरी पहाड़ी को दो जोन में बांटा गया है। जेल सूत्र यह भी बताते हैं कि पहाड़ी स्थित इस जेल में कैदियों के बैरक, अस्पताल, महिला कारागार, झूलाघर, अनाज गोदाम, ट्रेनिंग सेंटर, स्कूल, रिसेप्शन बैरक, मल्टीपरपज हॉल और एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक बनाना भी प्रस्तावित है। इसके साथ ही किचन को बैरकों के ठीक पास बनाया जाएगा। वहीं पूरे परिसर की निगरानी के लिए 12 टॉवर बनाए जाना प्रस्तावित हैं।
2003 में सांवेर रोड स्थित जेल की आधारशिला रखी गई है। लोक निर्माण विभाग ने उस समय काम अपने हाथ में ले लिया था। यहां पर कछुआ गति 2010 तक काम चलता रहा, इसके बाद बजट न होने का कह कर काम बंद कर दिया गया। उस दौरान यहां पर केवल बाउंड्रीवॉल ही बन पाई थी। 7 साल काम बंद रहने के बाद 2020 ने फिर काम में यहां के काम ने ऐसे गति पकड़ी कि 16 बैरक बनकर तैयार हो गई। तब तक इन कार्यों पर 48 करोड़ की राशि व्यय की जा चुकी थी। मगर अब तीसरे चरण में पहले से तीन गुना अधिक राशि 120 करोड़ रुपए और खर्च किए जाएंगे।
अगर समय रहते यह कार्य पूरा कर लिया होता तो शायद इतना पैसा यूं बर्बाद होने से बच जाता। अभी हालात यह हैं क यहां पर जो स्टॉफ क्वार्टस बनाए गए थे, वह भी जर्जर हो गए। यहां के हालात बता रहे हैं कि यहां के स्टॉफ क्वाटर्स व अधीक्षक के मकान की खिड़की, दरवाजों तक को लोग उखाड़ कर ले गए। खिड़की के सरिए काट लिए गए हैं।
इतना ही नहीं इन मकानों से ईंटें तक निकाल ली गई हैं। पहाड़ी पर होने के कारण यहां पर आम लोग आते जाते भी नहीं हैं। ऐसे में नशेड़ियों की यह मनपसंद जगह बन गई है। जेल सूत्र बताते हैं कि सांवेर जेल में कुछ काम शुरु हो चुके हैं। बाउजूद इसके यहां काम अभी भी धीमी गति से ही चल रहा हैं। ऐसे में यह जेल को बंदियों का इंतजार 2028 तक करना होगा। मगर काम इसी तरह चलता रहा तो समय और अधिक लग जाएगा।