श्रीमद्भागवत गीता अध्यात्म से भरी हुई है-मां कृष्णा दीदी
मनावर। गीता ज्ञान प्रचार समिति के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत गीता सत्संग मे श्रद्धेय मां कृष्णा दीदी ने तृतीय दिवस में कहा कि ” तेजस्वी नाव धीत मस्तु,मां विद्विषा वहे। के श्लोक से प्रारंभ हुई । शुद्ध पवित्र होकर आत्मा से संवाद करना चाहिए ।सत्संग से ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है ।मन के आंतरिक घर को खोलकर मनुष्य ने देखना चाहिए। गीता पुरी अध्यात्म से भरी हुई है। 18 वे अध्याय का आखिरी श्लोक है जो ऊपर उठ गये तो जगत का कल्याण हो जाता है ।
जो गुरु की पूजा करता है वह सब देवों की पूजा हो जाती है- मां कृष्णा दीदी…
गीता त्याग की बात करती हैं । जो सुख से भी नहीं हिलता है ,दुख से भी नहीं हिलता है वह है -योगी। वर्तमान में मनुष्य के चेहरे पर चमक नही रहती है जबकि पुर्व समय उम्र के हिसाब से चेहरा तेज झलकता है ।गीत माता है जो गुरु की पूजा करता है ,वह पांचो की पूजा हो जाती है। गंगा, गीता, गौ माता, गुरु और गायत्री ।समुद्र गहरा होता है गुरु ऐसे सतगुरु मिले जो लाखों सूर्य जैसे रहे ।गीता आत्मा का ज्ञान है। स्वामी विवेकानंद ने कहा है मैं दुनिया की तमाम चीजों का त्याग कर लिया है ।अब मैं दुनिया का मालिक हूं ।जो मेरे को देखता है वह सब में दिखता है वही है कृष्ण है। जो विकारों से खाली होगया है वही कृष्ण है , वही योगी होता है। कृष्ण जी ने सबसे पहले गीता का ज्ञान सूर्य को सुनाया था । लाखो मे बिरला व्यक्ति होता है जो मुझे जान लेता है ।16108 गोपीयो के बीच में रहकर भी कृष्ण जी मोह माया में नहीं रहे ।गीता जयंती के सत्संग समारोह का यह 19 वां वर्ष है। मुख्य यजमान मुकेश सविता पाटीदार बागलीया वाले , मुकेश मुकाती, अमित शर्मा लक्ष्मण मुकाती, रमेश कुशवाह, राजेश शर्मा, नटवर लाल विश्व कर्मा, संतोष पाटीदार, मोहन सोनी आदि उपस्थित थे।उक्त जानकारी गीता ज्ञान प्रचार समिति के सहसचिव जगदीश पाटीदार ने दी।