तीन गैंग,दो वाहन 8-8 घंटे काम फिर भी शहर को आवारा मवेशियों से निजात नहीं -शहर भर में चहुंओर,चौपाए ,नहीं मिल रहा ढोर से कोई ठोर, नगर निगम बेबस और कमजोर

दैनिक अवन्तिका उज्जैन। तीन गैंग सतत 24 घंटे दो वाहनों से काम चल रहा है इसके बाद भी आवारा मवेशियों से उज्जैन को आराम नहीं मिल रहा है। शहर भर में चौराहों, गलियों में चौपाए देखे जा सकते हैं। इसके बाद भी ढोर की समस्या से नगर निगम को ठोर नहीं मिल रहा है।यह समस्या नगर निगम के लिए अब सनातन समस्या हो कर रह गई है। नगर निगम ने इसके लिए तमाम कवायदें कर ली इसके बाद भी निजात का नाम नहीं है।नगर निगम उज्जैन में चौपाए की समस्या आज की नहीं है। पुरातनकाल से यह समस्या चली आ रही है। यदा कदा कोई घटना होने के बाद सांप निकल जाने पर लाठी पीटने का काम नगर निगम कर देती है और उसके बाद ढाक के तीन पात की स्थिति बन जाती है। कार्रवाई बराबर नगर निगम के गलियारों में चलती है और उसके नाम और काम पर दाम भी बराबर खर्च किया जाता है। यहां तक की तमाम नियम कानून भी बना दिए गए हैं। चौपाए के बाडे भी गिरा दिए गए और एक बार फिर से ये आबाद भी हो गए । बाडे तोडने का शौर सबको सुनाई दिया बाडे आबाद कब हो गए किसी को पता नहीं चला यहां तक की 24 घंटे काम उसके बाद भी बाढे बन गए है न आश्चर्य की बात।अब तक ये किया नागरिकों ने-कुछ वर्ष पूर्व शहर में चौपायों का आतंक सा हो आया था। एक के बाद एक घटना इनकी वजह से हुई थी। शहर के नागरिक आंदोलित होने पर मजबूर हो गए थे। घंटाघर पर नागरिकों ने अपना प्रदर्शन किया था। चौपाए से परेशान होकर शहर की प्रथम नागरिक रहीं सोनी मेहर ने तत्कालीन समय में टावर के पास ही गाडी से उतरकर चौपायों पर डंडे बरसाए थे। नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त मुकेश शुक्ला को बुलाकर उन्हें खरी –खोटी सुनाई थी। बुआजी की खरी-खोटी ने असर किया था और आयुक्त ने चौपाया पालकों को निशाने पर ले लिया था। शहर में पिछले एक साल में ही 10 से अधिक ऐसे मामले हैं जिनमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों को चौपायों ने अस्पताल भेज दिया,हड्डी तोड दी।बस नगर निगम के वाहन एवं गैंग चल रही -चौपायों से शहर के नागरिकों को निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने 24 घंटे गैंग चलाने का काम शुरू कर दिया। चौपायों को पकड कर रखने वाले वाहन के साथ गैंग के 6 से अधिक कर्मचारियों के लिए एक वाहन भी दिया गया है। 8-8 घंटे की तीन शिफ्ट में तीन गैंग सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक और दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक के बाद रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करती है। शहर के 6 जोन में जाकर गैंग आवारा मवेशियों को पकड कर कांजी हाउस में बंद करने का काम करती है। इतने संसाधनों के बाद भी शहर में चारों और चौराहों से लेकर गलियों और कालोनियों सब जगह आवारा चौपायें सडक और सभी जगह सामान्य रूप से सडकों पर बैठे एवं आवागमन को बाधित करते देखें जा सकते हैं। हालत यह है कि एक बार फिर से कुछ क्षेत्रों में चौपायों के बाडे अस्तित्व में आ गए हैं। इन्हें हटाने के लिए न तो गैंग की और से वरिष्ठ अधिकारियों को ही सूचित किया गया है और न ही अस्तित्व में आये बाडों को लेकर अधिकारियों ने ध्यान देते हुए गैंग को ही सूचना पत्र जारी किया है। हालत यह है कि बस गैंग चल रही है । परिणाम दिन भर चले अढाई कोस के सामने आ रहे हैं। पूर्व में नगर निगम आयुक्त ने चौपाया  मालिकों पर एफआईआर दर्ज करवाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही झोनवार अधिकारियों को जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। इसके बावजूद कई माह होने के बाद भी जिम्मेदारों से कोई जवाब नहीं लिया गया है और न ही चौपाया मालिकों पर एफआई आर ही दर्ज की गई है। पिछले तीन माह का अगर रेकार्ड निकाला जाए तो सामने आ रहा है कि सोने से गढामन महंगी पड रही है । दो जोन में स्वास्थ्य निरीक्षक को इसकी जिम्मेदारी दी गई है और शहर के 4 जोन में सब इंजीनियरों के पास आवारा मवेशी की समस्या से निजात दिलाने की डयूटी रखी गई है।यूडीए के प्लाट पर बाडा-हाल यह हैं कि चौपायों के लिए मालिकों ने अनेक विकल्प निकाल लिए हैं। शासकीय भूमियों पर कब्जे के साथ उन पर चौपायों के बाडे चल रहे हैं। उजजैन विकास प्राधिकरण मुख्यालय के पीछे एक विवादित भूखण्ड पर समस्त प्रकार के चौपायों का बाडा चलाया जा रहा है। सुर्य असत होने के बाद यहां चौपाए जमा कर लिए जाते हैं और सुर्योदय के साथ ही यहां से चौपाए कालोनी क्षेत्रों में हकाल दिए जाते हैं। प्रतिदिन यहां दूध भी चौपायों का निकाला जाता है। इस दूध को विक्रय कर चौपाया मालिक धन कमा रहा है और आसपास के कालोनी वासी धर्म के साथ चौपायों को रोटी ,घास देकर उनकी टल्ले खा रहे हैं।-आवारा मवेशी की जिम्मेदारी मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी जी को दे दी गई है। मेरे पास यह काम नहीं है।संजीव कुलश्रेष्ठ,स्वास्थ्य निरीक्षक,नगर निगम ,उज्जैनमेरे पास कपिला गौ शाला का पूरा काम है। शहर से 20 किलोमीटर दूर गौशाला के काम से सुबह जाकर शाम को ही वापसी होती है। नगर निगम आयुक्त महोदय का मुझे कोई आदेश नहीं हुआ है।महेन्द्र पांडे,मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम, उज्जैन