उज्जैन से ही शुरू हुआ हनुमान अष्टमी का पर्व..!
उज्जैन। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में आज हनुमान अष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। हनुमान जयंती का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन मान्यता है कि हनुमान अष्टमी के पर्व की शुरुआत उज्जैन से हुई और अब यह पर्व भी देश के कई स्थानों पर मनाया जाने लगा। मान्यता अनुसार आज के दिन उज्जैन में साक्षात हनुमान जी रहते हैं और उज्जैन के सभी हनुमान मंदिरों में हनुमान जी के दर्शन करने वाले भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। उज्जैन से हनुमान अष्टमी पर्व मनाने की शुरुआत को लेकर अलग-अलग कथाएं हैं जिसमें सबसे पहले बताया गया है कि हनुमान अष्टमी को विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेताकाल में जब लंका में युद्ध हुआ तो अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को पाताल ले जाकर उनकी बलि देना चाहता था। तब हनुमान जी ने अहिरावण का वध कर भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया था।
उसके बाद पृथ्वी के नाभि स्थल अवंतिका उज्जैन में आज के दिन हनुमानजी ने विश्राम किया था। भगवान राम ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को आशीर्वाद दिया कि जो भी कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पूजन करेगा उसके कष्ट दूर होंगे। मान्यता के अनुसार तब से ही हनुमान अष्टमी को विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है। एक कथा अनुसार जब हनुमान जी आज के दिन उज्जैन में रुके थे उस समय हनुमानजी ने भगवान महाकाल को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी तब पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर महादेव ने हनुमानजी को दर्शन दिए। हनुमानजी की तपस्या से प्रसन्न होकर महाकाल ने वरदान दिया कि इस तिथि पर तुम्हारी विशेष पूजा की जाएगी। जो भी भक्त तुम्हारी पूजा करेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी। तभी से यह पर्व मनाया जा रहा है। इसलिए माना जाता है कि आज के दिन उज्जैन में हनुमान जी रहते हैं। हनुमान जी की इसी पौराणिक कथा अनुसार उज्जैन शहर की चारों दिशाओं की रक्षा करने के लिए हनुमान मंदिरों की स्थापना हुई थी। इसलिए यहां 108 हनुमान मंदिर हैं। स्कंदपुराण के अवंतिका खंड में उल्लेख भी मिलता है, यही वजह है कि हनुमान अष्टमी का पर्व केवल उज्जैन में मनाए जाने की परंपरा रही है। लेकिन अब यह पर्व अनेक शहरों में भक्त मानने लगे हैं।