अब सड़क के काम में व्हाइट टॉपिंग तकनीक का उपयोग करने की तैयारी

इंदौर। पिछले साल पूरे प्रदेश में करीब 15 हजार किमी सड़कें बारिश के चलते खराब हुई थी. इनमें से कुछ सड़कों पर पानी निकासी के इंतजाम नहीं थे इसलिए ये जर्जर हो गई। ऐसी स्थिति को देखते हुए अब सड़क के काम में व्हाइट टॉपिंग तकनीक का उपयोग करने की तैयारी की गई है..जिसकी शुरुआत इंदौर में केंद्र सरकार से आए अधिकारी के साथ निगम में हुई बैठक की गई..

भारत सरकार द्वारा व्हाइट टॉपिंग सड़क निर्माण द्वारा संचालित परियोजनाओं के वरिष्ठ सलाहकार विजय कुमार इसी सिलसिले के इंदौर पहुंचे और जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर सहित निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की..बैठक में इस तर्ज पर तैयार होने वाली सड़कों का ब्लू प्रिंट बनाया गया..दरअसल इस तकनीक में करीब 20 साल तक सड़कें खराब नहीं होंगी और सरकार का हर साल के मेंटेनेंस का खर्चा भी बचेगा। व्हाइट टॉपिंग तकनीक से बनी सड़क सामान्य डामर रोड की तुलना करीब ढाई गुना महंगी होती है। 7 मीटर चौड़ी एक किलोमीटर टूलेन डामर रोड पर 22 लाख रुपए खर्च आता है। अगर व्हाइट टॉपिंग तकनीक से इसे बनाने पर करीब 55 लाख प्रति एक किमी के हिसाब से बनेगी। व्हाइट टॉपिंग तकनीक के तहत डामर रोड पर बेस मजबूत कर छह इंच कांक्रीट किया जाता है। यह तकनीक दक्षिण भारत के राज्यों सहित कई नेशनल हाइवे पर उपयोग में लाई जा रही है।

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