निखुलकर को श्रद्धासुमन अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

महिदपुर। महिदपुर में प्रशासनिक अधिकारी अमीन के पद पर रहते हुए शहीद सदाशिवराव निखुलकर नें 1857 की देश की आजादी की क्रांती में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था जिसको लेकर 07 जनवरी 1858 को अंग्रेजी हुकुमत के द्वारा इस महानक्रांतीकारी जिसनें शासकिय सेवा में रहते हुए क्रांती की अलख में अपना योगदान दिया था को तोप से उड़ाया गया था एसे क्रातीकारी अमीन का शहीद दिवस 07 जनवरी रविवार को नगर के तहसील प्रांगण स्थित उनके शहीद स्मारक पर मनाया गया।
प्रतिवषानुसार इस साल भी 07 जनवरी रविवार को सुबह 11.30 बजे अमीन सदाशिवराव निखुलकर के शहीद स्मारक पर पुष्प तथा पुष्पमालाऐं अर्पित कर उनकी शहादत को याद किया गया तथा अपनी श्रद्वांजली दी गई अवसर पर अश्विनि शोध संस्थान निदेशक डॉ आर. सी. ठाकुर, महिदपुर तहसीलदार नवीन चंद्र कुंभकार, थाना प्रभारी राजवीर सिंह गुर्जर, मुम्बई से आये अतिथी व्यवसायी गिरीश वीरा, पूर्व पार्षद ओम सोलंकी, पार्षद प्रतिनिधी पियुष सकलेचा के साथ गणमान्यजनों, अभिभाषक संजय जोशी, पत्रकारगणों विशाल शर्मा, ओम सोनी, शहर कांग्रेस अध्यक्ष सगीर बेग, कांग्रेस प्रवक्ता अशोक बुरड़, शिक्षकगण, पत्रकारगण आदि के द्वारा उनके स्मारक पर पुष्पमालाऐं अर्पित कर उनकी शहादत को याद किया गया तथा दो मिनीट का मोन रखकर शहीद निखुलकर कों भावपूर्ण श्रद्वाजंली अर्पित की गई। इस अवसर पर थाना प्रभारी राजवीर सिंह गुर्जर के द्वारा स्मारक पर परंपरानुसार पुष्पाजंली अर्पित करते हुऐ शहीद अमीन सदाशिवराव निखुलकर के स्मारक पर सलामी देकर अपनी श्रद्वांजली दी गई।
उदबोधन में जानकारी देते हुए पुरातत्वविद् डॉ आर सी ठाकुर नें बताया कि देशभक्त और प्रशासनिक अधिकारी सदाशिवराव निखुलकर अमीन (तहसीलदार) के द्वारा उस समय प्रशासकिय सेवा में होने के बाद भी देशभक्त क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर उन्हें सभी प्रकार से अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया था। साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ सेना की भरती करते हुए क्रांतिकारियों की मदद के लिए मवेशी, गाडियों, राशन आदि की व्यवस्था भी की थी। सन् 1857 में क्रांति के विफल होने के बाद निखुलकर को अंग्रेजी सरकार के द्वारा गिरफ्तार कर मंदसौर जिले के भानपुरा के पास हिंगलाजगढ किले में लोहे की बेडियों में जकड कर बंदीग्रह में डाल दिया गया था लेकिन इसके बाद भी जब अंग्रेजी हुकुमत को तसल्ली नहीं हुई तो अमीन निखुलकर को अंग्रेज सरकार नें नाटकीय घटनाक्रम के साथ कोर्ट मार्शल कर मौत की सजा सुनाई और 7 जनवरी 1858 को इस रणबांकुरे को तोप से बांध कर उडा दिया गया था। इस अवसर पर तहसीलदार नवीन चंद्र कुंभकार के द्वारा भी उदबोधन दिया गया।
फोटो – ..002 पुष्पाजली अर्पितकर उदबोधन देते ड़ॉ आर सी ठाकुर
003 दो मिनीट को मोन रखकर भावभिनी श्रद्वाजंली देते उपस्थित जन
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