30 वर्ष बाद मध्य प्रदेश में नए नेतृत्व की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
भोपाल । मध्य प्रदेश में कांग्रेस 30 वर्ष बाद नए नेतृत्व की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी। 1993 से अब तक कांग्रेस का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमल नाथ कर रहे थे। विधानसभा हो या लोकसभा चुनाव इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने नए नेतृत्व को आगे बढ़ा दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी हैं तो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उप नेता हेमंत कटारे हैं। पार्टी की तैयारी लोकसभा चुनाव में भी आधी से अधिक सीटों पर नए चेहरों को मौका देने की है। प्रदेश में 1993 से अब तक भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी रहा हो पर विधानसभा हो या फिर लोकसभा चुनाव दिग्विजय सिंह और कमल नाथ की ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रबंधन और कार्य योजना इनके हिसाब से ही बनती रही। इसके कारण नया नेतृत्व भी आगे नहीं आ पाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछड़ा वर्ग से आने वाले अरुण यादव को आगे बढ़ाया था। उन्होंने प्रदेशभर का दौरा करके टीम बनाकर विधानसभा चुनाव की तैयारी की लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले कमल नाथ को दिल्ली से भेजकर प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंप दी गई। 2023 के विधानसभा चुनाव के सारे सूत्र भी कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के हाथ में ही रहे। भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद पार्टी ने तीस वर्ष बाद प्रदेश में नए नेताओं के हाथ में बागडोर सौंपी है। अब इनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा। इतना ही नहीं पार्टी ने जो 29 लोकसभा समन्वयक बनाए हैं, उनमें भी अधिकतर जयवर्धन सिंह, तरुण भनोत, प्रियव्रत सिंह, विनय सक्सेना, विपिन वानखेड़े, नितेंद्र सिंह जैसे युवा चेहरे हैं।