गंगा पाप नाशिनी, तो शिप्रा मोक्ष दायिनी मौखिक नहीं लिखित योजना के साथ: मुख्यमंत्री को साधु-संतों का आदेश
उज्जैन में धरने पर बैठे साधु-संतों ने कड़े शब्दों में कहा- सरकार शिप्रा शुद्धिकरण का लिखित में बनाए प्रस्ताव, वरना भुगतने होंगे परिणाम
कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में लगाया प्रश्न, आगामी सत्र में उठेगा मामला
ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर धरना देने वाले साधु संतों ने अब एकदम स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तुरंत एक बैठक बुलाकर शिप्रा शुद्धिकरण का प्रस्ताव लिखित में तैयार करना चाहिए। अब मौखिक से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि पहले भी साधु समाज ने जो योजना बताई थी उसे नहीं माना गया और 90 करोड़ की योजना बेकार हो गई। इधर, तराना के कांग्रेस विधायक महेश परमार ने भी धरने में शामिल होते हुए कहा कि उन्होंने बहरी- गूंगी सरकार को जगाने के लिए विधानसभा में क्षिप्रा को लेकर प्रश्न लगाया है, विधानसभा सत्र शुरू होते ही यह मामला उठाया जाएगा और फिर जैसा साधु-संत आदेश करेंगे उसी अनुसार चला जाएगा।
क्षिप्रा नदी में इंदौर से बहने वाले खान नदी का दूषित पानी मिलने से यहां का पानी भी गंदा हो गया है। शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर शासन – प्रशासन ने करोड़ों रुपए लगा दिए, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। क्षिप्रा नदी में दूषित जल को रोकने के लिए अब साधु- संतों ने मोर्चा खोल दिया है। गुरुवार को दत्त अखाड़े के सामने साधु- संतों ने धरना दिया। संतों की मांग है कि शिप्रा में मिलने वाले नालों के पानी को रोका जाए। खान नदी के दूषित जल को शिप्रा में नहीं मिलने दिया जाए। यहां पंडे- पुजारियों ने भी साधु संतों की इस मांग का समर्थन किया है। संतों का कहना है कि क्षिप्रा का जल अब आचमन करने लायक भी नहीं रह गया है। पंडा समिति, विश्व हिंदू परिषद की मांग भी शिप्रा की शुद्धिकरण की है। तराना के विधायक महेश परमार भी इस धरने में शामिल हुए उन्होंने कहा कि मैं और कांग्रेस पार्टी क्षिप्रा शुद्धिकरण के लिए आपके साथ हैं। इसके लिए तन, मन, धन से लड़ाई लड़ने को हम तैयार हैं। क्षिप्रा को लेकर मैंने विधानसभा में प्रश्न लगाया है। विधानसभा सत्र शुरू होते ही इस पर जैसा भी आप दिशा निर्देश देंगे वैसा किया जाएगा।
संतों का कहना है कि सर्व दर्शन साधु समाज ने यह धरना प्रदर्शन किया है। मध्य प्रदेश सरकार सनातन धर्म के आधार पर ही चलती है।
साधु समाज शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर परमाध्यक्ष दत्त अखाड़े श्री के आदेशानुसार सभा के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर दास जी महाराज की अध्यक्षता में एवं सर्वदर्शन साधु समाज की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार वैदिक सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार चलती है। साधुओं के आशीर्वाद से ही मध्यप्रदेश में उनकी सरकार बनी हुई है। हिंदुओं का एजेंडा लेकर, हिंदुओं का ध्वज लेकर ,हिंदुओं का नाम लेकर कहीं न कहीं मध्य प्रदेश की सरकार भारतीय जनमानस के मानवाधिकार का हनन कर रही है। हम साधु समाज आज धरने पर बैठते हैं , इससे यह प्रतीत होता है कि मध्य प्रदेश की सरकार और उज्जैन के शासन – प्रशासन की व्यवस्था कहीं न कहीं बहुत ही निचले स्तर पर जवाबदारी भूल कर किसी दूसरी दिशा में मेहनत कर रही है। शासन एवं प्रशासन को सर्वदर्शन साधु समाज की ओर से निवेदन नहीं बल्कि साधु समाज का आदेश है कि मुख्यमंत्री और शासन प्रशासन को कि वह तत्काल एक बैठक बुलाकर मां क्षिप्रा के शुद्धिकरण का प्रस्ताव पास करें। हमें लिखित में चाहिए, मौखिक नहीं चाहिए। हमारे सभा अध्यक्ष श्री रामेश्वर दास जी महाराज और सर्वदर्शन साधु समाज का आदेश होगा तो हम उग्र आंदोलन करेंगे और जब तक मां क्षिप्रा का शुद्धिकरण नहीं होगा और उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित नहीं किया जाएगा, तब तक हम साधु समाज उनसे मिलने नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री साधु समाज को पूज्य मानते हैं तो उनको यहां आना चाहिए और अगर वह नहीं आएंगे तो शासन और प्रशासन को इसका परिणाम भुगतना होगा।
साधु – संतों की बात नहीं मानी और योजना बेकार चली गई
उज्जैन सभी तीर्थ स्थानों में सबसे बड़ा स्थान है। विश्व में कहीं भी इससे बड़ा तीर्थ स्थान नहीं है। काशी में 80 महादेव हैं और यहां 84 महादेव हैं। शिप्रा नदी मोक्षदायिनी है और गंगा पापनाशिनी है। मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी की क्या हालत है, यह किसी से छुपी हुई नहीं है। हमने कुंभ से प्रयास किया कि खान नदी को क्षिप्रा से मिलने से बचाया जाए तो उन्होंने भूमिगत पाइप लाइन डाली त्रिवेणी से कालियादेह महल तक। क्योंकि हमारा धार्मिक महत्व त्रिवेणी से कालियादेह महल तक है इसके लिए हमने कहा था कि खुली नहर बनाई जाए ताकि किसान भी पानी का उपयोग कर ले। उन्होंने कहा कि बहुत पैसा लगता है। इसलिए नहीं बना पाएंगे। साधु संतों की बात को न मानते हुए भूमिगत पाइप लाइन डाली जो कि चौक हो गई। 90 करोड़ की योजना बिल्कुल बेकार चली गई।