खुदाई सामग्री में एक चीते की बहुत ही सुन्दर ताम्र आकृति प्राप्त हुई
महिदपुर। जन्मेजय की नगरी नागदा में सन 1955 से 57तक देश के प्रसिद्ध पुरातत्त्व वेत्ता डॉक्टर एन आर बैनर्जी द्वारा खुदाई की गई थी । जिसमें प्राप्त सामग्री के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि यह स्थान सिंधु घाटी के समान अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां से प्राप्त सामग्री में एक चीते की ताम्र आकृति प्राप्त हुई है।इसमें चिता बहुत ही सुन्दर और जिंदा लगता था। इसकी ऊंचाई 5.6इंच लंबाई 8.6 इंच इसके आगे के पैर बड़े बनाए गए हैं। चेहरा गुस्से वाला गया है। कमर पतली चेहरे पर क्रूरता दिख रही है। पूंछ निचे की और है उसका आखरी हिस्सा ऊपर की और मुड़ा हुआ है। यह चार पहिए पर खड़ा है। इसे बच्चों के खिलौने के लिए बनाया होगा या फिर घर में सजावट के लिए बनाया गया था। इस की प्राप्ति से यह प्रमाणित होता है कि यहां चम्बल नदी के तट पर घने जंगलों में भारी संख्या में चीते आदि वन्य प्राणी पाए जाते थे। अब पुन: चम्बल अभ्यारण में लुप्त चितो को बसाने का कार्य शासन स्तर पर किया जा रहा है। नागदा क्षेत्र के लिए गर्व का विषय हे कि हजारों साल पूर्व चीते की उपस्थिति के पुरातात्विक प्रमाण नागदा खुदाई में मिले हैं। अन्यत्र कहीं से भी ऐसी जानकारी नहीं मिल है। अश्विनी शोध संस्थान के निदेशक डॉ आर सी ठाकुर ने पुरातत्व विभाग से इस स्थल को सुरक्षित करने की मांग की है। पर्यटन स्थल के रूप मे यहां का विकास आवश्यक है।