प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला, दोनों एजेंसियों पर एफआईआर, अनुबंध भी निरस्त
इंदौर। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन फ्लैटों को गरीब परिवारों के अपना घर का सपना पूरा करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था। उन्हें नगर निगम के कंसल्टेंट और ठेकेदार ने खुद के नाम से आवंटित करवा लिया। कंसल्टेंट ने 14 तो ठेकेदार के अपनों के नाम से आठ फ्लैट आवंटित करवाए। इधर योजना का काम देख रही मार्केटिंग एजेंसियों द्वारा फर्जी नाम से फ्लैट बुक कर उसे महंगे दाम पर बेचने का मामला भी सामने आया है। इसके बाद निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने दोनों मार्केटिंग एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए दोनों एजेंसियों से निगम का अनुबंध समाप्त कर दिया है।
बताया जा रहा है कि घोटाला वर्षों से चल रहा है। अब तक करोड़ों रुपये की हेराफेरी हो चुकी है। निगम के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। जनकार्य समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त हर्षिका सिंह को पत्र लिखकर कंसल्टेंट, ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों को जांच जारी रहने तक हटाने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम के ही कुछ अधिकारी मामले को दबाने का प्रयास भी कर रहे हैं।
निम्न आयवर्ग को आवंटित करना था खुद के नाम से कर लिए
राठौर ने शिकायत में कहा है कि नगर निगम द्वारा इंदौर आवास योजना अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में 14 प्रोजेक्ट चलाकर करीब 14 हजार फ्लैट बनाए गए हैं। विभाग के प्रभारी, अधिकारी, निर्माणकर्ता एजेंसी, कंसल्टेंट, मार्केटिंग एजेंसी द्वारा सिंडिकेट चलाकर इस योजना में जबरदस्त गड़बड़ी की जा रही है। इन्होंने सांठगांठ कर आवासों में अपने खुद के और अपने रिश्तेदारों के नाम से कई फ्लैट आवंटित करवा लिए हैं, ताकि इन्हें मोटा मुनाफा लेकर भविष्य में बेचा जा सके।
नियमानुसार बुकिंग के समय ही 10 प्रतिशत राशि जमा कराना होती है लेकिन फर्जीवाड़ा करते हुए कई फ्लैटों में सिर्फ 5 प्रतिशत राशि जमा करवाई गई है। कंसल्टेंट मेहता एसोसिएट्स के नाम से योजना के थ्री बीएचके के 14 फ्लैट आवंटित किए गए हैं। इसी योजना में ठेकेदार लाहोटी ने के नाम से आठ फ्लैट आवंटित किए गए हैं।
जांच करें, पद से हटाएं
पत्र में राठौर ने मांग की है कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पीएम आवास योजना के प्रभारी अधिकारी महेश शर्मा के खिलाफ जांच की जाए और जांच लंबित रहने तक उन्हें पद से हटाया जाए। अन्य दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
प्राइम लोकेशन के फ्लैट खुद रख लेते थे
राठौर ने बताया कि यह बात भी सामने आई है कि आवास योजना से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी, कंसल्टेंट, ठेकेदार और अन्य योजना के तहत तैयार प्रोजेक्ट में प्राइम लोकेशन के फ्लैट खुद अपने या अपने लोगों के नाम से आवंटित कर लेते थे। नगर निगम ने हितग्राहियों के चयन के लिए दो एजेंसियां मेसर्स अप टू दी मार्क मिरेकल इवेंट्स को नियुक्त की थीं।
इन एजेंसियों से जुड़े लोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तैयार फ्लैटों में से प्राइम लोकेशन के फ्लैट को फर्जी नाम से आवंटित कर उसे बुकिंग प्रक्रिया से हटा लेते थे। बाद में इस फ्लैट को अधिक रकम लेकर किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित कर दिया जाता था।
वर्षों से चल रहा था फर्जीवाड़ा
प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत नगर निगम द्वारा विकसित किए जा रहे शिवालिक परिसर, सतपुड़ा परिसर, अरावली परिसर, नर्मदा परिसर एवं कावेरी परिसर पर आवासीय इकाइयों के मार्केटिंग एवं विक्रय के लिए मेसर्स अप-टू-द मार्क एडवर्टाइजिंग प्रालि और मेसर्स मिरेकल ईवेंटस ज्वाइंट वेंचर से निगम ने अनुबंध किया था। इन एजेंसियों के कर्मचारी हितग्राही से आवासीय प्रकोष्ठ के निर्धारित विक्रय मूल्य राशि से अधिक राशि लेने और एक ही फ्लैट के लिए एक से अधिक लोगों से पैसा ले लेते थे।
कुछ दिन पहले ही यह बात सामने आई थी कि एजेंसियों के कर्मचारियों ने नर्मदा परिसर (बड़ा बांगड़दा एक्सटेंशन) स्थित फ्लैट के हितग्राही जानकीलाल पिता श्री गुलाबचंद सोनी से निर्धारित मूल्य सात लाख रुपये के बजाय साढ़े आठ हजार रुपये ले लिए। इसी तरह गुलमर्ग परिसर 1 एवं 2 पर आवासीय इकाईयों के विक्रय एवं मार्केटिंग के लिए नियुक्त मेसर्स अप-टू-द मार्क एडवर्टाइजिंग प्रालि के कर्मचारियों ने गुलमर्ग परिसर स्थित हितग्राही गीताबाई पति रामाधार सिंह राठौर को आवंटित फ्लैट को पुनः गौतमसिंह पिता गंभीरसिंह पंवार से डेढ लाख नकद लेकर आवंटित कर दिया।