पीएम मोदी झाबुआ में, मप्र में किया लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज
मप्र को 7550 करोड़ से अधिक विकास परियोजनाओं की सौगात
इंदौर। मध्य प्रदेश के लिए रविवार का दिन बेहद अहम है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झाबुआ पहुंचे। उन्होंने जहां मप्र में लोकसभा चुनाव के प्रचार की शुरुआत की, वहीं जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करने के साथ ही राज्य को सात हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की सौगात भी दी। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव भी उपस्थित हैं।
पौने दो लाख महिलाओं के खातों में अंतरित होगी आहार अनुदान की राशि
पीएम मोदी आहार अनुदान योजना के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया परिवार की महिलाओं के खातों में आहार अनुदान की मासिक किस्त अंतरित करेंगे। इसके साथ ही स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को अधिकार अभिलेख वितरण, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत 559 गांवों में विभिन्न गतिविधियों के लिए 55.9 करोड़ रुपये जारी किए।
इन योजनाओं का शिलान्यास- लोकार्पण
पीएम मोदी झाबुआ में सीएम राइज स्कूल, धार और रतलाम के 1000 से अधिक गांवों के लिए पेयजल आपूर्ति की तलवाड़ा परियोजना, अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 2.0 के तहत 14 शहरी जलापूर्ति योजनाओं की आधारशिला रखेंगे।
झाबुआ की 50 ग्राम पंचायतों के लिए नल-जल योजना, इंदौर-देवास-उज्जैन सी केबिन रेलवे लाइन के दोहरीकरण की परियोजना लोकार्पित किया। इटारसी-यार्ड रीमाडलिंग के साथ उत्तर-दक्षिण ग्रेड सेपरेटर और बरखेड़ा-बुदनी-इटारसी को जोड़ने वाली तीसरी लाइन सहित 3,275 करोड़ से अधिक की कई सड़क विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया।
भाजपा ने जीती थीं प्रदेश की एसटी के लिए सुरक्षित सभी छह सीटें
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित सभी छह सीटें भाजपा ने जीती थीं। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इन क्षेत्रों में बढ़त बनाई। मप्र की राजनीति में आदिवासी मतदाताओं का खासा महत्व है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ हुआ और उसने एसटी वर्ग के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से 30 जीती थीं।
प्रधानमंत्री के इस दौरे से भाजपा प्रदेश के आदिवासी समीकरणों को साधना चाहती है। इसे ध्यान में रखते हुए सारी तैयारियां की गई हैं। प्रधानमंत्री का स्वागत आदिवासी परंपरा के अनुसार किया गया।