कलाकारो और बुद्धिजीवियो की आराधना का दिवस वसंत पंचमी
उज्जैन। विद्या व कला की अधिष्ठात्री देवी मां शारदा का आविर्भाव वसंत पंचमी तिथि पर ही माना जाता है इसलिए विद्यार्थियों और कला से जुड़े साधकों के लिए वसंत पंचमी एक महत्वपूर्ण दिवस है। मां सरस्वती की आराधना से विद्या व कला मे सफलता मिलती है। जङ मूर्ख भी मां को प्रसन्न कर ज्ञानवान बन जाता है ऐसा माना जाता है। जनश्रुति है कि महाकवि कालिदास पहले मूढ थे किन्तु मां शारदे की कृपा होने पर वे जगप्रसिद्ध कवि हुए। वसंत का आगमन होने पर पूरी प्रकृति अपने पूरे शबाब पर होती है। मदमस्त हवा के साथ आम के वृक्षो पर नवीन मोर आते हैं तो पीले पत्तो की जगह नए हरे पत्ते। बैरियो पर खट्टे मीठे फल व नवपल्लव पूरी पृथ्वी को श्रृंगारित करते हैं। शीत ऋतु के बाद ग्रीष्म की धीमी धीमी दस्तक और सकारात्मक तरंगो से परिपूर्ण वातावरण। नवचेतना का संदेश देती प्रकृति से शरीर मे स्फूर्ति का संचार और इस स्फूर्ति को वर्ष भर बनाए रखकर सफलता का वरण करने का आशीष प्राप्त करने की उत्कंठ इच्छा रखनेवाले विद्यार्थी, चित्रकार, मूर्तिकार, संगीतकार लोगों की देवी सरस्वती की आराधना का पर्व वसंत पंचमी। बंगाल मे मां सरस्वती की विशेष आराधना इस दिन की जाती है। सरस्वतीजी को पीले फूल व अर्पि नैवेध अर्पित कर विद्या का वर मांगा जाता है। हमारे मालवा क्षेत्र मे मां सरस्वती को पुष्प अर्पित कर मोर पंख व नई सरसों के पीत फूल अर्पित किए जाते हैं। बोर ( बेर) के फल, मिष्ठान्न व खीर अर्पित कर पूजा की जाती है। साधक इस दिन सफेद स्फटिक की माला से मां को प्रसन्न करने हेतु ओम सरस्वत्ये नमः मंत्र का जाप करते हैं। दवात, कलम, तूलिका की पूजा का भी विधान है। जीवन मे ज्ञान का प्रकाश बहुत ही आवश्यक है। अतः सभी ज्ञान के अभिलाषी इस दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के उपक्रम करते हैं।वसंत पंचमी को ही मदनोत्सव भी कहते हैं।अर्थात प्रेम का उत्सव, प्रेम के देवता कामदेव की भी आराधना इस दिन की जाती है। प्रकृति के यौवनकाल मे प्रेम का सूत्रपात तो अवश्यंभावी है। अतः वसंत पंचमी हमारा वेलेंटाइन डे भी है जो पुरातनकाल से मनाया जाता रहा है।
अभ्यास तो करते हैं पर सफलता तो मां दिलवाती है हम कलाकार तो प्रतिदिन स्वर ताल का अभ्यास घंटों तक करते हैं पर प्रदर्शन के दौरान कोई खामी न रहे इसका वर तो मां शारदा ही देती है। हम तो नित्य ही सरस्वती की अर्चना करते हैं पर वसंत पंचमी मां सरस्वती की आराधना का विशेष पर्व है। पं माधव तिवारी संगीत आचार्य व तबला विशेषज्ञ
मां सरस्वती तो विद्यार्थियों की इष्ट
वर्ष भर कठिन परिश्रम के बाद…
सफलता की अभिलाषा होती है अध्ययन एक साधना ही है और परीक्षा मे हम अपना श्रेष्ठ तभी दे पाते हैं जब मां शारदा की कृपा हो अतः उनके जन्मदिवस पर विद्यार्थी पूरे मनोयोग से सरस्वती को खुश करने के प्रयास करते हैं
—जीविशा पाण्डे हाईस्कूल बोर्ड मे मैरिट छात्रा
सनातन संस्कृति मे प्रकृति व घङी की महत्ता…
सनातन वैदिक धर्म में वसंत पंचमी सत्य ज्ञान प्रेम से युत्त वह पवित्र दिन है जिसमें घृणा पाप असत्य का कोई स्थान नही माघ माह में अर्थात मा-अघ: अर्थात जिस माह में पाप लेश मात्र भी न हो उस माह में वसन्त ऋतु का प्रारम्भ होता है सम्पूर्ण सृष्टि नव यौवन प्राप्त करती है दिशायें टेसू के भगवा पुष्प से सूर्य वंदना करती है इस नव सृजन एवं भेदभाव से रहित सम्पूर्ण सनातन प्रेमियों के आत्म मिलन के पर्व का नाम ही वसंत पंचमी है जहाँ तिथि भी पूर्ण होती है और उत्साह भी पूर्ण होता है एक और शिव वंदना से समरसता जाग्रत होती है तो दूसरी और भक्त प्रह्लाद का सनातन शौर्य प्रकट होता है