पेंशनर संघ नेता का स्टेटस चर्चाओं में मोबाईल और उसका व्हाटसप भी अजीब है कई बार यह खुद के हाथों ही अपनी मट्टी पलीद करवा देता है।- खुसूर-पुसूर
दैनिक अवन्तिका उज्जैन मोबाईल और उसका व्हाटसप भी अजीब है कई बार यह खुद के हाथों ही अपनी मट्टी पलीद करवा देता है। ऐसा ही इज्जत का फालूदा हुआ है एक वरिष्ठ पेंशनर संघ के एक नेता के साथ । कुछ दिनों पहले व्हाटसप पर उनका एक स्टेटस देख कर लोग चौंक गए पहले तो आखों पर यकीन नहीं हुआ। आंखें साफ कर उनसे जुडे लोगों ने फिर से देखा , 30 सेकंड के विडियों में उनके सभी चेहरों पर से नकाब हट गया और अंतत: देखने वालों को यकीन करना पडा ,क्यों की स्टेटस पर उन्होंने ही इसे अपने से जुडे लोगों को भेजा था। खुसूर-पुसूर है कि यूं तो उनका स्वभाव ऐसा नहीं दिखाई देता है। न ही नौकरी के दौरान ही ऐसी कोई हरकत उनकी सामने आई। कभी उनकी अर्धांग्नी ने भी ऐसी कोई बात किसी को नहीं बताई। न कभी किसी ने उनको चोरी-चोरी चुपके-चुपके इस तरह के काम में देखा । न ही उन्होंने कभी नजर चुराई फिर ऐसा क्या हुआ कि इस उम्र में और वो भी। इस उम्र में बाथरूम में वो और उनसे आधी उम्र की “वो “ जो भी हो। स्टेटस के इस विडियों की शहर भर के वरिष्ठों पेंशनरों के बीच खुसूर-पुसूर जमकर हो रही है।धीरे –धीरे शहर से गांव तक सब भाजपामय-भाजपा अब तो सिरमौर हो गई है। मोदी जी ने वादे निभाए। मध्यप्रदेश में भाजपा का फिर से अलख जगा। सरकार आई , नए सीएम आए। सब कुछ धरातल से शुरू हुआ। धरातल से ही पिछडा को आगे लाए। संघ की परिपाटी को हुबहु अपनाया और आगे बढने का समीकरण जमाया। उज्जैन जिले में एक हवा चल पडी। भाजपा में धीरे-धीरे ऐसे कांग्रेसियों का पदार्पण हो रहा है जिन्होंने कभी जमकर भाजपा पर निशाना साधा। उपर से लेकर नीचे तक यह सिरे से चल पडा है। हो भी क्यों नहीं सीएम का गृह जिला है। शहर से लेकर गांव तक पंचायत की चौपाल तक भाजपा का गुणगान है। धीरे –धीरे इस गुण को वे भी गाने लगे हैं जो कभी आने वाले नहीं थे। हाल ही में जिले के कई ऐसे कांग्रेस नेता सीएम के सामने भाजपाई हो गए हैं । गांव-गांव गली गली अब एक ही हवा चली है। पंचों से लेकर शहर के नेता भी जुगाड में हैं कि सीएम की उपस्थिति में ये तब्दीली हो जाए। कभी छात्रों के पटेल रहे ग्रामीण नेता जी कांग्रेस के कट्टर माने जाते थे । दक्षिण से वे भी अब भाजपा में आ गए हैं। कांग्रेस की सेवा से जुडे और प्रदेश तक पहुंचे नेता जी भी इधर ही फूल खिलाने आ गए हैं। खुसूर-पुसूर है कि लोकसभा चुनाव में उज्जैन में ऐसा न हो कि नामांकन दाखिल करने वाले कांग्रेसी को समर्थकों का ऐसा अभाव हो जाए जितना की अभी अन्य दलों जैसे सपा,बसपा को रहता है। उज्जैन –आलोट संसदीय क्षेत्र वैसे भी भाजपा के गढ के रूप में देखा जाता है। इसमें सेंध लगाना बहुत टेढी खीर माना जाता है। वर्तमान में नेता से लेकर कार्यकर्ता तक जैसे कांग्रेस से भाजपा में आ रहे हैं उससे ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी को ऐसे कई अभावों से जुझना पड सकता है।खुसूर-पुसूर
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