एक मार्च को उज्जैन के उद्योग,व्यापार एवं संस्कृति को मिलेंगा नया आधार -औद्योगिक विकास को आकार देगा रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024
दैनिक अवंतिका उज्जैन। वार्षिक लेखाबंदी के अंतिम माह के पहले दिन से उज्जैन की नई इबारत लिखने का सिलसिला शुरू होने वाला है। एक मार्च से उज्जैन के उद्योग,व्यापार एवं संस्कृति को नया आधार मिलने वाला है। उज्जैन एवं इसके आस पास के ज़िलों में भी रोज़गार एवं व्यापार की अपार संभावनाओं को बल देने के लिए और इस क्षेत्र की सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहरों को संजोने के 1 मार्च, 2024 से प्रदेशव्यापी बृहद आयोजनों की शुरुआत उज्जैन से होने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा हैं कि प्रदेश में औद्योगिक विकास की बहुत संभावनाएं हैं। इन्हें साकार किया जाएगा। आगामी एक और दो मार्च को उज्जैन की इन्वेटर्स समिट के आधार पर पूरे प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्र के उद्योगों की स्थापना की संभावनाएं प्रबल होंगी। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को आमंत्रित करने के लिए यह समिट हो रही है। शासन की मंशा को पूर्ण करने के लिए कलेक्टर उज्जैन नीरज कुमार सिंह द्वारा कार्यक्रम के तैयारियों की सतत मॉनिटरिंग की जा रही हैं। सभी तैयारियां अपने अंतिम चरण में है। 1 मार्च को प्रमुख आयोजन “रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024-उज्जैन” (RIC 2024 – UJJAIN) के रूप में किया जाएगा।प्रमुख आयोजन RIC 2024-1 मार्च को प्रमुख आयोजन “रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024-उज्जैन” (RIC 2024 – UJJAIN) के रूप में किया जाएगा। कॉन्क्लेव का उद्घाटन दिवस राज्य की निवेश की अपार संभावनाओं को प्रस्तुत करेगा। आयोजन के पहले दिन भूमि आवंटन पत्र वितरित किए जाएंगे और आगामी/ नई परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास होगा। साथ ही साथ ओडीओपी बिजनेस डायरेक्टरी का अनावरण किया जाएगा। आयोजन के दूसरे दिन 2 सेक्टोरल सत्र आयोजित किये जाएंगे- पहला सत्र धार्मिक पर्यटन पर फोकस और फिल्म उद्योग के प्रतिनिधित्व पर होगा और दूसरा सत्र फार्मा, चिकित्सा उपकरण के अवसर और चुनौतियाँ पर होगा। इस कॉंक्लेव में बायर-सेलर मीट के साथ साथ उद्योगपतियों के साथ निवेश सम्भावनाओं हेतु वन-टू-वन चर्चा किया जाना भी प्रस्तावित है। विक्रम व्यापार मेला-इस ही क्रम में दूसरा आयोजन विक्रम व्यापार मेला के उद्घाटन के रूप में किया जाना है। प्राचीन भारत की 16 महाजनपदों में प्रमुख जनपद अवंति (वर्तमान मालवा क्षेत्र) की राजधानी उज्जयिनी वर्तमान उज्जैन व्यापार का बड़ा केंद्र हुआ करता था। उज्जैन सोयाबीन तेल और कपड़ा उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र भी माना जाता था, मगर कुछ नीतियों और मशीनों में बदलाव न होने से ये उद्योग धीरे-धीरे बंद होते चले गए। वर्तमान परिवेश में सरकार द्वारा पुनः उज्जैन नगरी के उद्योग छवि को पुनर्जीवित करने के प्रयास के रूप में 40 दिवस चलने वाला व्यापार मेला का आयोजन करा रही है। 1 मार्च से 9 अप्रैल तक के बीच लगातार 40 दिन मेले में आटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक हस्तशिल्प उत्पाद और खान-पान की दुकानें लगेंगी। ऋण सुविधा के लिए बैंक के स्टाल भी लगेंगे। मेले में सामान बाजार दर से रियायती कीमतों पर उपलब्ध करवाना मुख्य उद्देश्य है एवं वाहन खरीदने पर पंजीयन शुल्क और रोड टैक्स में छूट भी मिलेगी। उज्जैन व्यापार मेला एवं 2 दिवसीय होने वाले रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के परिणाम स्वरूप उज्जैन नगरी निवेश एवं पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित होगी जिसका लाभ रहवासियों को रोजगार के रूप में भी होगा।विक्रमोंत्सव-विक्रमोत्सव – 2024 का उद्घाटन भी इसी दिन किया जाएगा। विक्रमोत्सव वर्ष 2006 से निरंतर मनाया जाता रहा है जिसको इस वर्ष और भी बृहद रूप में आयोजित कर जनाकर्षण का केंद्र बनाने की तैयारी है। गत वर्ष तक शिप्रा नदी और कालिदास संस्कृत अकादमी तक सिमटे विक्रमोत्सव को इस बार अंतरराष्ट्रीय स्वरूप दिया जा रहा है। इस उत्सव का उद्देश्य – विश्व संस्कृति-पर्यटन के नक्शे पर उज्जैन की चमक बढ़ाना है। 1 मार्च को विक्रमोत्सव के उद्घाटन के दौरान भारतीय ऋषि वैज्ञानिकों की अतिदुर्लभ और अत्यंत मूल्यवान परंपरा पर केन्द्रित गौरवपूर्ण प्रकाशिन आर्ष भारत, विक्रम पंचांग, भारतीय स्वाधीनता संग्राम पर केन्द्रित पुस्तकों के लोकार्पण के साथ नवनिर्मित विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यह भारतीय कालगणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी होगी जिसे वैदिक काल गणना के समस्त घटकों को समवेत कर बनाया गया है। इस घड़ी में भारतीय पंचांग समाहित रहेगा। साथ ही इसके ग्राफ़िक्स में सभी ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, नक्षत्र, सूर्योदय, सूर्यास्त आदि भी समाहित रहेंगे। वीर भारत संग्रहालय शिलान्यास उपरोक्त कार्यक्रम के साथ-साथ युगयुगीन भारत के महानायकों की तेजस्विता को रेखांकित किए जाने के लिए वीर भारत संग्रहालय का शिलान्यास भी किया जाना प्रस्तावित है। पूर्व वैदिक, वैदिक, उत्तर वैदिक, रामायण-महाभारत काल, विक्रमादित्य युग, मध्ययुग और पराधीनता के विरुद्ध सिंहनाद करने वाले तेजस्वी नायकों, मंत्र द्रष्टा ऋषियों, संतों, मनीषियों और आज़ादी के रणबाँकुरों के अनुपम योगदान पर केंद्रित यह संग्रहालय देश और दुनिया में सर्वथा अनूठा और सर्वप्रथम होगा।उज्जैन में देश का पहला और अनूठा “वीर भारत संग्रहालय” बनेगा। यह संग्रहालय देश के कालजयी महानायकों की तेजस्विता को प्रतिबिंबित करेगा। संग्रहालय का एक मार्च को शिलान्यास किया जाएगा। उज्जैन में ऐतिहासिक धरोहर कोठी पैलेस को उपलब्ध कराया गया है। संग्रहालय में देश के तेजस्वी नायकों और सत्पुरुषों की प्रेरक कथाओं, संदेश व चरित्रों का चित्रांकन, उत्कीर्णन, शिल्पांकन, ध्वन्यांकन पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों से किया जाएगा।