‘स्किन-टू-स्किन टच बिना रेप नहीं’ का फैसला देने वाली जज का डिमोशन
ब्रह्मास्त्र नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति पुष्पा वी गनेडीवाला के नाम की सिफारिश बॉम्बे हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नहीं करने का फैसला किया है। गनेडीवाला वहीं जज हैं, जिनके एक फैसले ने काफी विवाद खड़ा किया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि अगर पीड़िता और आरोपी के बीच स्कीन-टू-स्कीन टच नहीं हुआ है तो इसे यौन अपराध नहीं माना जाएगा। जस्टिस गनेडीवाला वर्तमान में बॉम्बे हाईकोर्ट की अतिरिक्त जज हैं। कॉलेजियम के इस फैसले का मतलब है कि उन्हें वापस जिला न्यायपालिका में भेज दिया जाएगा।
हाईकोर्ट में नियुक्तियों का निर्णय लेने वाले कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 224(1) के तहत सीधे बार या राज्य न्यायपालिका से दो साल से अधिक की अवधि के लिए नहीं की जाती है। इनकी सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है।