मालवा निमाड़ की छह सीटें पर भाजपा का सांसद पक्का
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इंदौर। मालवा और निमाड़ अंचल यानी इंदौर और उज्जैन संभाग के अंतर्गत आठ लोकसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें यदि धार और झाबुआ को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा इतनी मजबूत है कि जिसे भी टिकट मिलेगा वह सांसद बन जाएगा। धार की सीट भी हालांकि जनसंघ के जमाने से बीजेपी जीत रही है।
धार की सीट पर 1962 से 1977 तक भारतीय जन संघ के टिकट पर स्वर्गीय भारत सिंह चौहान चार बार सांसद चुने जा चुके हैं, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव से धार जिले की आदिवासी सीटों पर भाजपा निरंतर पराजित हो रही है। झाबुआ की सीट तो वैसे भी भाजपा के लिए हमेशा से कठिन रही है। भाजपा यहां केवल 2014 और 2019 में ही जीत दर्ज कर सकी थी। धार और झाबुआ को छोड़ दिया जाए तो अंचल की शेष सभी सीटें इंदौर, उज्जैन देवास – शाजापुर, खरगोन, खंडवा तथा मंदसौर की सीटें भाजपा के लिए बहुत आसान है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव उज्जैन से हैं। जबकि उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा मंदसौर जिले से आते हैं। उज्जैन और मंदसौर दोनों ही लोकसभा क्षेत्र भाजपा के परंपरागत गढ़ हैं। इन सीटों पर पार्टी 60 के दशक से अच्छा प्रदर्शन कर रही है। इंदौर को लेकर कोई सवाल ही नहीं है। इंदौर भी ऐसी सीट है जहां भाजपा जिसे भी लड़ाएगी वह जीत जाएगा। देवास-शाजापुर की सीट पर भी भाजपा 1962 से जीत रही है।
इस सीट पर अपवाद स्वरूप कांग्रेस तीन या चार बार जीत सकी है। यही स्थिति खरगोन की है, जहां भारतीय जनसंघ के रामचंद्र बड़े ने 1962 में जीत दर्ज की थी। इस सीट पर भी कांग्रेस सुभाष यादव के समय दो बार और एक बार अरुण यादव उपचुनाव में जीते थे अन्यथा यहां से भाजपा लगातार जीत दर्ज कर रही है।
खंडवा की सीट भी 1967 में भारतीय जन संघ जीत चुकी है। खंडवा की सीट भी कांग्रेस के लिए कठिन सीटों में से एक है। जाहिर है मालवा और निमाड़ में केवल झाबुआ और धार ही ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं जिनके लिए पार्टी थोड़ा चिंतित हो सकती है अन्यथा मालवा और निर्माण में भाजपा 2014 और 2019 की तरह क्लीन स्वीप करने की स्थिति में है।