चार वर्ष से भी ज्यादा समय, नहीं की जा सकी अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति, चैत्र नवरात्रि के लिए दीपमालिका की बुकिंग भी शुरू
ब्रह्मास्त्र उज्जैन
चार वर्ष से अधिक समय होने के बाद भी हरसिद्धि मंदिर की प्रबंध समिति में अशासकीय सदस्यों की नियुक्तियां नहीं की जा सकी है।
हरसिद्धि के साथ ही सिद्धवट, कालभैरव, गढ़कालिका आदि भी ऐसे प्रमुख मंदिर है जहां प्रबंध समितियां तो है लेकिन इनमें अशासकीय सदस्यों का मनोनयन नहीं किया जा सका है। इधर चैत्र नवरात्रि के अवसर पर हरसिद्धि मंदिर में दीपमालिका लगाने के लिए बुकिंग होने की भी शुरूआत हो गई है। गौरतलब है कि मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर दीपमालिकाएं प्रज्जवलित होती है और इसके लिए भक्त संबंधित सामग्री अपनी ओर से दान में देते है। महाकाल मंदिर के साथ ही हरसिद्धि और अन्य प्रमुख मंदिरों में प्रबंध समितियां होती है और इन समितियों में अशासकीय सदस्यों का मनोनयन किया जाता है लेकिन बताया जाता है कि बीते चार वर्षों से अधिक समय बीत गया बावजूद इसके हरसिद्धि के साथ ही गढकालिका, सिद्धवट, काल भैरव आदि जैसे प्रमुख मंदिरों की समितियों में अशासकीय सदस्यों का मनोनयन नहीं किया जा सका है और इस कारण मंदिर संबंधी जितने भी निर्णय हो रहे है वे सब अधिकारियों के भरोसे ही होते हैं।
सुझावों तक ही सीमित
वैसे हरसिद्धि मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य शिवनारायण चौबे का यह कहना है कि अशासकीय सदस्यों का मनोनयन जल्द ही होना चाहिए ताकि कोई भी व्यवस्था सिर्फ अधिकारियों के भरोसे नहीं रहे। हालांकि चौबे का यह भी कहना है कि भले ही प्रबंध समिति में अशासकीय सदस्यों को रखा जाए लेकिन जब-जब भी बैठकें होती है तब तक सिर्फ सदस्यों के सुझावों को ही लिया जाता है लेकिन आधे से ज्यादा सुझावों पर प्रशासन स्तर पर विचार तक नहीं किया जाता। अर्थात जो भी निर्णय होते है वे सिर्फ अधिकारियों के ही रहते है। फिर भी प्रबंध समिति के अशासकीय सदस्यों के होने से मंदिर का विकास, श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानी आदि की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है।
इनका कहना है
मंदिर समिति में अशासकीय सदस्यों के मनोनयन हेतु मैंने उच्च अधिकारियों से निवेदन किया है और लिखित में भी दिया है। चैत्र नवरात्रि के लिए दीपमालिका की बुकिंग होती है और श्रद्धालुओं द्वारा संपर्क किया जा रहा है।
पाटीदार, तहसीलदार एवं प्रबंधक