ब्रह्मास्त्र उज्जैन। सूर्य ने 15 दिसंबर की अल सुबह 4:42 पर वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि में प्रवेश किया। धनु में सूर्य के प्रवेश को लेकर यह धनु संक्रांति कहलाएगी इसलिए इसे धनुर्मास भी कहते हैं।
धर्म, शास्त्र में सूर्य की संक्रांतियों के संबंध में अलग-अलग बातें कहीं जाती है। उनमें से सूर्य की धनु संक्रांति विशेष इसलिए बताई जाती है क्योंकि धनु संक्रांति में ही पौष माह आता है व पौष माह सूर्य की विशिष्ट आराधना के लिए बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि धनु राशि के सूर्य कि साक्षी में धर्म तथा तीर्थ यात्रा करना अति शुभ होता है। प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी इस समय हिमपात, शीतलहर, ठंड का मौसम लाभकारी बताया गया है। जब शरीर के विपरीत प्रकृति का वातावरण बनता है तो वह लाभ पहुंचाता है।
देवगुरु बृहस्पतिकीराशिहै धनु बृहस्पति की राशि धनु में जब सूर्य का प्रवेश होता है तो वह धर्म व अध्यात्म संस्कृति से संबंधित परिस्थितियों को परिवर्तित करते हुए नए कालखंड का निर्माण करता है।
दक्षिणायनधनु राशि से गुजरता है सूर्य के दो अयन उतर व दक्षिण दक्षिण है। इन दोनों में 6: 6 राशियों का समावेश है।दक्षिण की ओर गति करने वाला यह मार्ग धनु राशि से होकर गुजरता है।