सेहरे में सजे महाकाल, साल में एक बार दोपहर 12 बजे हुई भस्मारती

– महानिवार्णी अखाड़े के महंत विनित गिरि महाराज ने चढ़ाई भस्मी

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन।

महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन शनिवार को भगवान महाकाल ने दूल्हा रूप में सवा मन फूलों व फलों की मालओ से बने सेहरे में सजकर दर्शन दिए।

महाशिवरात्रि की पूरी रात गर्भगृह में महापूजा चली। शनिवार की तड़के 4 बजे पूजा संपनन्न होने के बाद भगवान महाकाल को सप्त धान अर्पित किए गए। मखमली वस्त्र, चांदी के आभूषण धारण कराए गए। सप्त धान्य का चांदी का स्वरूप पहनाया गया। स्वर्ण का त्रिकुंड, कुंडल, चांदी का छत्र भी पहनाए गए। सेहरे में सजे महाकाल की सुबह 6 बजे आरती की गई। बाबा को सवा लाख बिल्व पत्र चढ़ाए गए। चांदी के सिक्के न्यौछावर किए गए। सेहरा दर्शन के लिए सुबह 6 बजे बाद से 10 बजे तक हजारों लोगों ने महाकाल के सेहरा दर्शन किए। इसके बाद पुजारियों ने पट बंद कर सेहरा उतारा व दोपहर में 12 बजे भस्मारती का पूजन शुरू हुआ। महानिवार्णी अखाड़े के महंत विनित गिरि महाराज ने भस्मी चढ़ाई। पुजारी संजय गुरु ने पूजन किया। इसके बाद पुजारी अजय गुरु ने आरती की। साल में एक बार ही यह मौका आता है जब महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन राजा महाकाल की भस्मारती तड़के 4 बजे की जगह दोपहर में 12 बजे होती है।

पहली बार भस्मारती में हजारों

श्रद्धालु ने चलायमान दर्शन किए

पहली बार महाकाल की दिन में हुई भस्मारती के दौरान मंदिर प्रशासन ने आम श्रद्धालुओं को चलायमान दर्शन भी कराए। महाकाल समिति के अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं को कार्तिक मंडप से प्रवेश देकर लाइन से दर्शन कराए गए। इस दौरान हजारों लोगों ने इसका लाभ लिया।

दिन की भस्मारती बाद भोग

आरती फिर पुजारियों को भोज

महाकाल की दोपहर में भस्मारती संपन्न होने के बाद भोग आरती की गई। भगवान को भोग लगने के बाद मंदिर के नि:शुल्क अन्नक्षेत्र में पंडे-पुजारियों को समिति की ओर से भोजन कराया व दक्षिणा भेंट में दी गई। दरअसल शिव नवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल के साथ ही पंडे-पुजारी भी उपवास रखते हैं। महाशिवरात्रि के समापन पर उपवास का पाराणा यानी भोज की परंपरा है। हालांकि इस भोज में पंडे-पुजारियों के अलावा मंदिर समिति, जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारी, समिति सदस्य एवं पत्रकार आदि भी समिति के विशेष आमंत्रण पर शामिल होते हैं।

दोपहर की भस्मारती के नजारे

– हमेशा की तरह वीवीआईपी श्रद्धालु का नंदीहॉल में कब्जा रहा।

– बड़ी संख्या में ऐसे श्रद्धालु भी आरती में प्रवेश कर गए जिनके पास अनुमति तक नहीं थी।

– समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह नंदीहॉल के बाहर गेट पर खड़े रहकर पूरी व्यवस्था देख रहे थे।

– कलेक्टर की पत्नी व परिवार के अन्य लोग सहित प्रशासन के कई अधिकारियों का परिवार नंदीहॉल में आरती में शामिल था।

– पुलिस व निजी एजेंसी के सुरक्षा गार्डों ने श्रद्धालुओं से भारती अभद्रता की। अनुमति वालों को काफी देर से प्रवेश मिला जबकि कई फर्जी लोग पहले से अंदर जाकर बैठ गए थे।