कलाकार की यह कसौटी है कि वह श्रोताओं के दिलों को छुए – पं.चौरसिया
ब्रह्मास्त्र इंदौर। संगीत में खुदा बसता है, राम बसते हैं। ये कहना गलत है कि शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों में रुचि नहीं है। कलाकार की यह कसौटी है कि वह अपनी प्रस्तुति के जरिए श्रोताओं के दिलों को छुए। इंदौर में गुरु- शिष्य परंपरा के प्रति जितना सम्मान है, वह अन्यत्र नजर नहीं आता, इसीलिए इंदौर में स्वर वेणु गुरुकुल स्थापित करने का निर्णय लिया है।
ये विचार ख्यात बांसुरी वादक पद्मविभूषण पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया और प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका पद्मभूषण परवीन सुलताना ने व्यक्त किए। स्वरवेणु गुरुकुल द्वारा आयोजित अलंकरण समारोह में भाग लेने इंदौर आए ये दोनों दिग्गज कलाकार शनिवार को स्टेट प्रेस क्लब, मप्र के कार्यक्रम ‘रूबरू’ में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे।
एक सवाल के जवाब में पं. चौरसिया ने कहा कि गुरुकुल परंपरा सिर्फ संगीत में ही नहीं अन्य विधाओं और स्कूली शिक्षा का भी अंग होना चाहिए।
फिल्मी संगीत में नकल का बोलबाला
पं. चौरसिया ने कहा कि उन्होंने कई भाषाओं की फिल्मों में संगीत दिया है। अब समय बदल गया है। गीतों का स्तर गिर गया है। हम पश्चिम की नकल करने लगे हैं।
इंदौर में गुरु- शिष्य परंपरा के लिए बेहतर माहौल
शास्त्रीय गायिका बेगम परवीन सुलताना ने कहा कि इंदौर में गुरु- शिष्य परंपरा और शास्त्रीय संगीत को सहेजने का जो माहौल नजर आता है, वह अन्यत्र नहीं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार संजय लुणावत ने की। अतिथियों का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, पं. संतोष संत,नवनीत शुक्ला,अभिषेक गावड़े, संजीव गवते, कमल कस्तूरी,विजय पारिख,हर्षवर्धन लिखिते,गगन चतुर्वेदी ने किया।