श्रम मंत्री ने लौटा दी हरदा पटाखा फैक्ट्री में मारे गए श्रमिकों की सत्यापन रिपोर्ट
फैक्ट्री में काम करने वालों श्रमिकों की सूची ही श्रम विभाग के पास नहीं
भोपाल। हरदा पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट में मारे गए श्रमिकों के मुआवजा को लेकर श्रम विभाग और प्रशासन के अधिकारियों की सत्यापन रिपोर्ट प्रदेश के श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने खारिज कर दिया है। उन्होंने यह टिप्पणी करके रिपोर्ट लौटा दी है कि इसमें हताहत श्रमिकों की संख्या को लेकर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, इसलिए वह इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने फिर से सत्यापन के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, फैक्ट्री में काम करने वालों श्रमिकों की सूची श्रम विभाग के पास नहीं है। ऐसे में, हताहत श्रमिकों को लेकर जो सत्यापन रिपोर्ट दी गई है, उसको लेकर स्पष्टता नहीं है। यह जानकारी श्रम मंत्री पटेल ने मंगलवार को मीडिया से संवाद के दौरान हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट मामले में मुआवजा कम मिलने से जुड़े प्रश्न पर दी। उन्होंने कहा कि हरदा फैक्ट्री में फरवरी में हुई दुर्घटना की रिपोर्ट में पीड़ितों की संख्या में आम लोगों की संख्या अधिक बताई जा रही है, जबकि श्रमिकों की संख्या 32 ही है।
सवाल यह है कि जब फैक्ट्री में कार्य करने वाले श्रमिकों की सूची ही उपलब्ध नहीं है तो सत्यापन किस आधार पर किया गया है। उन्होंने कहा कि यदि कोई पेपर हरदा कलेक्टर या हमारे विभाग के पास हो तो दिखाएं। मंत्री ने बताया कि हरदा फैक्ट्री विस्फोट मामले में सहायक संचालक नवीन बरुआ को निलंबित करने के बाद उनके विरुद्ध चार्ज शीट दायर कर दी गई है। वहीं, एपी सिंह, उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, भोपाल एवं प्रभारी संचालक इंदौर को निलंबित किया गया।
पंचनामा के बिना संबल का कैसे हुआ भुगतान
भोपाल में जीवित लोगों को संबल का लाभ दिए जाने के मामले में श्रम मंत्री पटेल ने कहा कि इसे संज्ञान में लिया है। विभाग के प्रमुख सचिव को जांच के निर्देश दिए थे। छह अधिकारियों को निलंबित किया है। रिकवरी के लिए निगम कमिश्नर को पत्र भी भेजा जाएगा। संबल का भुगतान श्रम मंत्रालय के बजट से होता है, इसलिए यह कार्रवाई की है। बिना पंचनामा के भुगतान हो गया, इसलिए इस प्रक्रिया को भी बदल रहे हैं।
श्रमिकों को मिलेगी ज्यादा मजदूरी
श्रम मंत्री ने बताया कि मजदूरों के हितों के संरक्षण एवं कल्याण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए एक अप्रैल से समस्त औद्योगिक एवं असंगठित श्रमिकों को 25 प्रतिशत अधिक मजदूरी देने का आदेश जारी किया है। इसके पहले वर्ष 2014 में मजदूरी का पुनरीक्षण हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन एवं मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के नेतृत्व में सबके विकास की कड़ी में श्रमिकों के उत्थान के लिए यह पहल की गई है। श्रमिकों को महंगाई भत्ता जोड़कर न्यूनतम वेतन मिलेगा। वहीं, कृषि श्रमिकों को भी हर माह 7660 रुपये मिलेंगे।