पार्षद निशा देवलिया का निर्वाचन शून्य घोषित मामले में हाई कोर्ट ने फैसले पर नहीं लगाई रोक

 

इंदौर। वार्ड 44 से पार्षद चुनी गई भाजपा की निशा देवलिया का निर्वाचन शून्य घोषित करने के जिला न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने प्रकरण की त्वरित सुनवाई के लिए जरूर कहा है। गुरुवार को देवलिया की ओर से प्रस्तुत सिविल रिविजन की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किए और जिला न्यायालय में चले प्रकरण का रिकार्ड हाई कोर्ट मंगवाया।
करीब डेढ़ वर्ष पहले हुए इंदौर नगर निगम चुनाव में वार्ड 44 से भाजपा की निशा देवलिया ने कांग्रेस की नंदनी पिंटू मिश्रा को पराजित कर 1026 मतों से जीत दर्ज की थी। चुनाव के बाद मिश्रा ने देवलिया के खिलाफ जिला न्यायालय में याचिका दायर कर उनका निर्वाचन शून्य घोषित करने की मांग की थी। इसमें कहा था कि देवलिया ने नामांकन पत्र दाखिल करते समय जो शपथ पत्र दिया था, उसमें गलत जानकारी दी थी।

शपथ पत्र में संपत्ति की दी थी गलत जानकारी

याचिका में कहा था कि निशा ने शपथ पत्र में 200 वर्गफीट के टिन शेड के मकान की जानकारी दी और संपत्ति कर भी उसी के हिसाब से भरा जाना बताया, जबकि उनका मकान 1600 वर्गफीट का है और रजिस्ट्री में भी क्षेत्रफल इतना ही है। इस आधार पर जिला न्यायालय ने देवलिया का निर्वाचन शून्य घोषित कर नंदनी मिश्रा को विजयी घोषित कर दिया था।

हाई कोर्ट में दायर की थी सिविल रिविजन

इस फैसले को चुनौती देते हुए देवलिया ने हाई कोर्ट में सिविल रिविजन दायर की है। गुरुवार को इसी पर सुनवाई हुई। देवलिया की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट पीयूष माथुर और मिश्रा की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट विवेक तनखा ने पैरवी की।