किसानों को हो रहा नुकसान : 5 और 10 रुपए किलो बेचना पड़ रहा संतरा, हताश किसान छोटा नागपुर में काटने लगे संतरे के पेड़
रोजगार और आमदनी दोनों को नहीं बढ़ा पाई कृषक हित की सरकार
दैनिक अवन्तिका उज्जैन
उज्जैन संभाग का आगर-मालवा जिले को संतरा उत्पादन के लिए छोटा नागपुर कहा जाता है। हालिया वर्षों में मौसम की प्रतिकुलता एवं जिले में फूड प्रोसेसिंग युनिट नहीं होने से कृषकों को नुकसान सहना पड़ रहा है। इस कारण से किसान अब हताश होने लगा है और संतरे का रकबा किसान कम करने लगे हैं पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई है। कृषकों में अब संतरे की खेती का मोह भंग होता दिखाई दे रहा है।
संतरे की खेती से लाभ के सपने देखकर किसानों ने आगर-मालवा जिले के कानड एवं अन्य क्षेत्रों में जमकर इसकी फसल की पैदावार शुरू कर दी। खेती के लिए महंगे पौधों को लाकर लगाया गया। हर बार फसल के समय दाम देखकर किसानों के होंश फाख्ता हो रहे हैं। पिछले तीन चार वर्षों से प्रकृति की प्रतिकुलता से किसानों का मोह भंग होने लगा है और अब किसान संतरे के पौधों को काटने की स्थिति में आने लगे हैं। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि क्षेत्र में न तो फसल रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज ही हैं और न ही वर्षों से यहां फूड प्रोसेसिंग युनिट ही लग सका है। जिससे की कृषक अपने संतरा उत्पादन को सुरक्षित कर सकें। आगर जिला में प्रोसेसिंग युनिट को लेकर कोई उद्योग सामने नहीं आ सका है। करीब 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में यहां संतरा की खेती की जाती है। यहां का संतरा विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।
रोजगार आमदनी दोनों बढेÞगी
संतरा की खेती करने वाले कृषकों का कहना है कि क्षेत्र में अगर पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग युनिट की शुरुआत होती है तो कृषकों को भाव भी अच्छा मिलेगा साथ ही आसपास के रहवासियों को रोजगार भी मिल सकेगा। कृषक बताते हैं कि प्रोसेसिंग युनिट को लेकर मात्र घोषणाएं ही सामने आई हैं अमल में लाने के लिए कृषक हित में किसी भी सरकार ने पहल नहीं की है।
एक भी प्रोसेसिंग युनिट ने रूचि नहीं दिखाई
हाल ही में हुई रीजनल इन्वेस्टर कॉन्क्लेव में उज्जैन संभाग के 7 जिलों में से आगर, शाजापुर, मंदसौर को कोई उद्योग नहीं मिल सका था। उज्जैन, नीमच, देवास, रतलाम को करीब 6 हजार करोड़ से अधिक के उद्योग मिले थे। आगर में संतरा की खेती को देखते हुए भी कॉन्क्लेव में किसी मल्टीनेशनल कंपनी की और से पहल नहीं की गई। यही नहीं प्रोसेसिंग युनिट को लेकर भी किसी भी कंपनी ने अपनी रूचि इस क्षेत्र में नहीं दिखाई।
भाव 5 से 10 रूपए किलो
इस वर्ष भी मौसम की प्रतिकुलता के बावजूद संतरा की फसल अच्छी आई है। क्षेत्र के खेतों में ठीक-ठीक फसल उत्पादन हो रहा है। इसके विपरीत भाव में स्थिति यह देखी जा रही है कि 5 से 10 रूपए किलो में व्यापारी इसकी खरीद कर रहे हैं। कृषकों को सोने से घढ़ावन महंगी पड़ने लगी है।
मौसम की प्रतिकुलता
कृषक बताते हैं कि संतरा की फसल की बहार के लिए उसमें पानी की तान दी जाती है। यानिकी करीब 1 से डेढ़ माह फसल को पानी बिल्कुल नहीं दिया जाता है। इससे पेड में आने वाले फूल में मजबूती बनती और वह गिरता नहीं है। न ही फल ही कमजोर स्थिति का बनता है। पिछले तीन चार सालों से क्षेत्र में फरवरी, मार्च एवं अप्रेल माह में वर्षा की स्थिति बन जाती है जिस कारण से कमजोर फसल आ रही है।
पिछले 3-4 वर्षों से असामयिक वर्षा के साथ मौसम की प्रतिकुलता रही है। हमारे जिले में 38 हजार हेक्टेयर रकबा संतरा, मौसंबी, नीबू का है। एक छोटी प्रोसेसिंग युनिट केंडी की है उसमें बहुत ज्यादा खपत नहीं है। बड़े कोल्ड स्टोरेज एवं प्रोसेसिंग युनिट आने पर किसानों को उचित दाम मिलेगा। अभी तो किसान भाव न मिलने से हताश हो रहा है।
-सुरेश राठौर, उपसंचालक, उद्यानिकी, आगर-मालवा
आगर-मालवा में अब तक औद्योगिक क्षेत्र ही नहीं था। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में अब औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है। हमारा प्रयास रहेगा प्रोसेसिंग युनिट के लिए भी कंपनियों के साथ जल्द ही बातचीत कर उन्हें आने के लिए आमंत्रित किया जाए और किसानों को इसका लाभ मिल सके।
-राजेश राठौर, कार्यकारी संचालक क्षेत्रीय औद्योगिक विकास निगम, उज्जैन