शहरभर में अवैध निर्माण की अनदेखी के हैं जिम्मेदार, लापरवाह बीओ और बीआई अब संभालेंगे एंटी रेबीज अभियान…
इंदौर । करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर से श्वानों की संख्या पर नियंत्रण नहीं हो सका है। अब निगम आयुक्त ने एंटी रेबीज अभियान चलाकर इन श्वानों की संख्या पर नियंत्रण करने की कोशिश की है। इस अभियान में शहर के नगर निगम के सभी 22 झोनों के भवन अधिकारी (बीओ) और भवन निरीक्षक (बीआई) को भी शामिल किया जाएगा।
ये वही बीओ और बीआई हैं, जिनकी लापरवाही के चलते शहरभर में अवैध निर्माणों की भरमार है। नियम विरुद्ध छोटे से प्लॉट पर लोगों ने अवैध बेसमेंट बना लिए और इन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसका प्रमाण हाल ही में 206 उषा नगर में मेन रोड पर गिरी बिल्डिंग है। अब ऐसे अधिकारी शहर को श्वानों से मुक्त करवाएंगे, यह सिर्फ हास्यास्पद प्रतीत होता है।
जानकारी अनुसार हाल ही में निगम कमिश्नर ने एक मीटिंग ली। इसमें एंटी रेबीज अभियान चलाने के लिए अन्य विभागों के साथ नगर निगम के भवन अधिकारी एवं भवन निरीक्षक को भी जिम्मेदारी देने की बात कही है। जहां तक भवन निरीक्षक और भवन अधिकारियों की कार्यशैली का सवाल है, शहर भर में हो रहे अवैध निर्माण की यह अनदेखी करते हैं।
इसका कारण क्या है यह सभी जानते हैं। कुछ ही दिन पहले 206 उषा नगर में 15 बाय 50 के प्लॉट पर अवैध बेसमेंट निर्माण के बाद लगातार जल्दी जल्दी निर्माण किया जा रहा था। इस बिल्डिंग में अवैध बेसमेंट का मामला सामने आने के बाद भी नगर निगम इंदौर के झोनल कार्यालय के बीओ द्वारा अनदेखी की जाती रही और बिल्डिंग भरभराकर गिर गई।
इसमें चार मजदूर घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि एक मजदूर की हालत अभी भी गंभीर है। यह तो मात्र एक प्रमाण है ऐसे सैकड़ों निर्माण हैं, शहर में जो बीओ की अनदेखी के कारण सीना ताने खड़े हैं। यदि ऐसे अधिकारियों को भी एंटी रेबीज अभियान में जोड़ लिया तो इस अभियान की भी क्या गत होगी यह समझ जा सकता है।
पहले ही किया जा चुके करोड़ों खर्च
शहर में श्वानों की आबादी रोकने के लिए लोक धन के करोड़ों रुपए पहले ही खर्च किए जा चुके हैं लेकिन लापरवाही के चलते आबादी नियंत्रण नहीं हो सकी है। बल्कि देखा जा रहा है कि शहर में लगातार आवारा श्वानों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में उन अधिकारियों से भी जवाब-तलब किया जाना चाहिए, जिन्होंने लोकधन के करोड़ों रुपए का भुगतान किया है और नतीजा सिफर रहा है।