विद्युत कटौती से किसान परेशान, डीपी देने में भी आर्थिक शोषण

-आरोप डीपी लेने जाने पर किसान को 500 रूपए देने की बजाय उल्टा कतिपय लाईन मेंन करते हैं शोषण

उज्जैन। ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत कटौती से किसान परेशान हलाकान हो रहा है। मेहनत का परिणाम लेने में उसे विद्युत कंपनी परेशान कर रही है। खराब डीपी बदलने में किसान को डीपी ट्रांसपोर्टेशन के रूपए देने की बजाय उलटा आर्थिक शोषण किया जा रहा है। ट्रांसफार्मर उर्फ डीपी के आसपास के क्षेत्र में  मेंटेनेंस के नाम पर आया पैसा सीधे तौर पर हजम हो रहा है । मेंटेनेंस के अभाव में कई दुर्घटनाएं होती है।

जिले में वर्तमान में रबि की करीब 30-40 फीसदी फसल कट गई हैं। शेष फसल के काटने की तैयारी चल रही है। गेहुं की फसल हार्वेस्टर और थ्रेशर दोनों से ही निकाली जा रही है। कई क्षेत्रों में फसल में कम उत्पादन सामने होने पर कृषक हार्वेस्टर में खर्चा अधिक आंकते हुए थ्रेशर मशीन का उपयोग करने का विचार कर रहे हैं इसके चलते उन्हें बिजली  नहीं मिल पा रही है। यही नहीं किसानों को डीपी जलने पर विद्युत कंपनी समय पर बदल कर नहीं दे रही है उसमें भी किसान को इंतजार करवाया जा रहा है और आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। इसे लेकर किसान संघ पूर्व में ही अपनी आपत्ति जता चुका है लेकिन व्यवस्था ठीक होने का नाम नहीं ले रही है।किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमलसिंह आंजना ने अव्यवस्थाओं की पुष्टि करते हुए कहा आरोप लगाते हुए कहा है कि विद्युत कंपनी व्यवस्था सुधारने की और ध्यान ही नहीं देती है।

किसानों एवं संघ की मांग पर दिन में कटौती-

इधर सामने आ रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में दिन में विद्युत सप्लाय नहीं दी जा रही है। उसके पीछे कारण यह सामने आ रहा है कि जिले के किसानों की मांग एवं किसान संघ ने विद्युत कंपनी को लिखकर दिया है कि शार्ट सर्किट की घटनाओं को देखते हुए दिन में गर्मी के समय विद्युत सप्लाय नहीं दी जाए रात में ही पर्याप्त सप्लाय हो। इसके पीछे कारण यह सामने आ रहा है कि जिले भर की अधिकांश ट्रांसफार्मर उर्फ डीपी के आसपास तार झुलते रहते हैं ऐसे में दिन में गर्मी के दौरान हवा से शार्ट सर्किट की स्थिति में फसल में आग का खतरा ज्यादा रहता है। रात्रि के समय नमी होने से इस खतरे से थोडी राहत रहती है। श्री आंजना बताते हैं कि वर्तमान में कृषकों को रात में काम करना पड रहा है। इस दौरान विद्युत कंपनी 10 घंटे थ्री फेस उपलब्ध करवा रही है। इसका उज्जैन जिले में अलग –अलग ग्रीड के फीडर पर समय है। एक ग्रीड पर दो फीडर हैं। पूर्व में 6 घंटे रात में और 4 घंटे दिन में थ्री फेस बिजली दी जा रही थी। इधर जिले के कई क्षेत्रों में कृषकों का आरोप है कि विद्युत कंपनी मात्र कागजों में 10 घंटे बिजली देने की बात कर रही है। इस दौरान दो से तीन बार और कई बार तो पांच बार तक कटौती की जा रही है। इससे कृषकों को समय के साथ ही धन की बर्बादी करना पड रही है। कृषकों को बिजली आने के इंतजार में निंद हराम हो रही है और किराए की थ्रेशर मशीन का किराया अलग बढ जाता है।

ये हैं डीपियों के हाल-

श्री आंजना बताते हैं कि हाल यह हैं कि 11 केवी लाईन के तार खेतों में सिर के आसपास तक झूल रहे हैं। इसके चलते हार्वेस्टर निकलना मुश्किल है।जंपर नहीं हैं। कट आउट नहीं हैं। डीपीयों के तार झूल रहे हैं जिनसे शार्ट सर्किट होना रोज का मामला हो चुका है। छोटी बडी सभी लाईने के एक से हाल हैं। विद्युत कंपनी के पास मेंटेनेंस का पैसा सभी क्षेत्रों में आने के बाद भी यह हाल अमूमन ग्रामीण क्षेत्र में आम हो चले हैं।

डीपी के नाम पर कृषक का शोषण-

श्री आंजना बताते हैं कि सीजन के पूर्व ही विद्युत कंपनी को जले डीपी सुधार कर स्टाक बना लेना चाहिए साथ ही नए भी उसमें । इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम को लेकर संघ पूर्व में भी कई बार ज्ञापन दे चुका है और देता रहा है लेकिन विद्युत कंपनी के अधिकारियों की मनमानी से कृषकों का आर्थिक शोषण हो रहा है। डीपी जलने पर कृषक को कतिपय लाईन मेन डीपी की कमी बताकर जुगाड का कहते हैं और फिर कृषक से पैसा लेकर डीपी दिलवाते हैं इसमें मिलीभगत की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

कृषक को स्वीकृत खर्च भी हजम-

श्री आंजना बताते हैं कि सरकारी नियमानुसार डीपी जलने पर कृषक उसका ट्रांसपोटेशन करते हुए ग्रीड तक ले जाता है। इसके लिए उसे नियमानुसार 500 रूपए  दिए जाने चाहिए लेकिन उल्टा शार्टेज के नाम पर कृषक का ही आर्थिक शोषण किया जा रहा है। सीजन के समय कृत्रिम डीपी संकट बनाकर कृषकों की मजबूरी को केश किया जाता है। इसे लेकर विद्युत कंपनी को सुझावात्मक कई ज्ञापन देने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है।