कलेक्टर कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों अपनी गलती छुपाने में माहिर
राजस्व अभियान को लेकर कई विसंगतियां आई सामने
इंदौर। राजस्व महाअभियान में तहसीलदार व एसडीएम के मामलों के निराकरण को परखकर कार्रवाई की गई, किंतु अपर कलेक्टर के न्यायालय में दर्ज मामले के निराकरण की संख्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अभियान में जल्दबाजी में आवेदन का निराकरण कर दिया, किंतु आदेश अपलोड करने और अमल करने की किसी को जरूरत ही महसूस नहीं हुई।
राजस्व के लंबित मामलों के निराकरण को लेकर सरकार ने महा अभियान आरंभ किया था। 10 मार्च तक चले इस महा अभियान के दौरान जिला स्तर पर तहसीलदार और एसडीएम के कार्य की समीक्षा की गई। अभियान में जहां इंदौर 33 वें नंबर तक पहुंच गया था वहीं अंतिम समय में 46 नंबर पर रहा। कार्य में गति नहीं लाने के चलते कलेक्टर ने दो एसडीएम का एक दिन का वेतन रोका और दो एसडीएम का कार्य क्षेत्र बदल दिया था।
महा अभियान के दौरान जल्दबाजी में कार्य करने के चक्कर में तहसीलदार ने अधिकांश मामलों को निराकृत करने के बजाय उन्हें निरस्त करना उचित समझा और बाद में आवेदक से नए सिरे से आवेदन लगवा कर फिर से सुनवाई की जा रही है। महा अभियान में जिन मामलों का निराकरण हुआ उनमें से अधिकांश के आदेश अभी तक अपलोड नहीं हुए हैं और तहसीलदार या एसडीएम के आदेश का पालन करने पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया है कुछ मामलों को छोड़कर अन्य आदेश का अमल करवाने के लिए आवेदक अभी भी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। अभियान में जहां तहसीलदार और एसडीएम पर तलवार लटकी रही वहीं किसी ने भी अपर कलेक्टर न्यायालय में लंबित मामलों पर ध्यान नहीं दिया। अपर कलेक्टर रोशन राय और गौरव बैनल के न्यायालय में अधिकांश मामले लंबित बताई जा रहे हैं जिनमें से कुछ मामले 6 माह से अधिक के भी है। अपर कलेक्टर रोशन राय के न्यायालय में निगरानी के मामले ही लगभग 8 माह से लंबित है जिनमें सुनवाई करने के बाद आदेश करने में ही अधिकारी को एक वहां से अधिक का समय लग गया किंतु अभी तक आदेश नहीं ही पाए हैं।
आवेदक का कहना है कि जब भी संबंधित रीडर या अधिकारी से मुलाकात करने जाते हैं तो वह एक दूसरे से मिलने की बात कह कर डाल देते हैं कुछ मामलों में चर्चा की बात कह कर उन्हें बार-बार भटकाया जा रहा है। अपर कलेक्टर रोशन राय के यहां एक पूर्व फौजी का निगरानी का मामला भी लंबे समय से सनी पर ही चल रहा है।
अभी तक उसमें आदेश नहीं हो पाए हैं जबकि उनसे दो माह पूर्व कहा गया था कि यह फाइल आदेश पर है जल्दी ही आदेश जारी किए जाएंगे।
गलती तहसील की, हम कैसे सुधारेंगे —
खातों में हुई गलतियों में सुधार के लिए भू राजस्व संहिता के अनुसार एसडीएम न्यायालय को निर्णय लेना है। तहसीलदार व पटवारी के माध्यम से हुई गलती में सुधार को लेकर आवेदक ने आवेदन किया, जिसमें पटवारी रिपोर्ट से लेकर अपर कलेक्टर के आदेश मिलने के बावजूद एसडीएम अभी तक मामलों का निराकरण नहीं कर पा रहे हैं।
जनवरी माह से चल रहे इस तरह के आवेदनों में एसडीएम निराकरण करने के बजाय कहते नजर आ रहे हैं कि तहसीलदार की गलती हम कैसे सुधार सकते हैं। हमें कोई अधिकार नहीं।