गंभीर के बाद शहर की पेयजल निर्भरता नर्मदा के महंगे जल पर, शहर के स्थाई और प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं के मान से खपत सवा गूना हुई शहर में पेयजल सप्लाय 10 लाख उपयोगकर्ताओं के मान से हुई – नगर निगम में पानी के प्रबंधन को लेकर कवायद तेज,पानी की एक –एक बूंद सहेजने के प्रति सतर्कता

दैनिक अवंतिका उज्जैन

उज्जैन। शहर में पेयजल सप्लाय यहां के स्थानीय निवासियों के साथ ही पिछले डेढ साल में श्री महाकाल लोक एवं दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के मान से सवा गुना से ज्यादा हो गई है। इस मान से प्रतिदिन करीब 10 लाख से अधिक लोगों के लिए पीएचई पानी जुटाने की कवायद कर रहा है। गंभीर के बाद शहर की पेयजल निर्भरता नर्मदा के महंगे जल पर ही है। गंभीर में शहर को 15 जून तक सप्लाय देने की जलराशि संग्रहित है।शहर के दक्षिण भाग में वर्तमान पेयजल संकट इंदौर से आ रही प्रदुषित कान्ह नदी की वजह से संकट खडा हुआ है। इससे दक्षिण के कई हिस्से प्रभावित हुए हैं और करीब 10 फीसदी क्षेत्र में कम दबाव और पर्याप्त जल नहीं मिलने की स्थिति बनी है। यह संकट अगले एक दो दिन और रहने की संभावना है। वर्तमान में पीएचई शहर को दो भागों में जल सप्लाय कर रहा है। सुबह के समय शहर के उत्तर एवं शाम के समय दक्षिण भाग को पेयजल प्रदाय किया जा रहा है। शहर के दक्षिण भाग में गउघाट जल यंत्रालय से पानी शोधित कर सप्लाय किया जाता है। इसके लिए गंभीर और शिप्रा में नर्मदा के जल का उपयोग किया जाता है।यहां से आता है दक्षिण भाग के लिए जल-पीएचई के सूत्रों के अनुसार शहर के दक्षिण भाग के लिए गंभीर से 800 एमएम की एक लाईन डली हुई है। इसमें गंभीर से रा वाटर गउघाट लाकर उसका ट्रीटमेंट करते हुए जल प्रदाय के उपयोग के लिए टंकियां भरी जाती है। इसके साथ ही शिप्रा से जल लिया जाता है। नर्मदा की पाईप लाईन से आने वाले पानी को शिप्रा के त्रिवेणी एवं गउघाट बैराज में संग्रहित कर रखा जाता है। इस पानी को गउघाट प्लांट में शोधन करते हुए उपयोग के लिए टंकियों में भरा जाता है।यहां से आता है उत्तर क्षेत्र को पानी-शहर के उत्तर क्षेत्र को गंभीर से शोधित पानी की आ रही लाईन से पूरा पानी दिया जाता है। गंभीर के फिल्टर प्लांट में ही पानी का शोधन किया जाता है और उसे भेजा जाता है जिससे उत्तर क्षेत्र की विभिन्न क्षमताओं की करीब 25 टंकियां भरी जाती है।सेवरखेडी का टेंडर हुआ और फाईल बंद-शहर की पेयजल व्यवस्था एवं सिंचाई के लिए कुछ सालों पहले शिप्रा के सेवरखेडी पर डेम को लेकर विचार किया गया था। इसकी पूरी योजना भी बन गई थी। यहां तक की प्रारंभिक निविदा जारी की गई थी। निविदा का निर्णय भी हो गया था। उसके बाद पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। वर्तमान में शहर पूरी तरह से 1992 में पूर्ण विकसित हुए गंभीर डेम पर ही निर्भर है। खास बात यह है कि 32 साल बाद भी इस डेम के उन्नयन को लेकर कोई योजना आकार नहीं ले सकी है। इसकी अपेक्षा इंदौर में यशवंत सागर डेम का उन्नयन कर उसे दुगनी क्षमता की जलराशि का संचय कर पश्चिमी इंदौर में उससे सप्लाय किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त उज्जैन तक नर्मदा की पाईप लाईन डाली गई है जिससे नर्मदा का पानी लिया जाता है। एनवीडीए की इस पाईप लाईन से मिलने वाला पानी बहुत ही महंगा पडता है।गाद भरने से गंभीर की क्षमता घटी-पीएचई के जानकारों के अनुसार गंभीर सबसे पहले 1980 में सामने आया था। इसके बाद यहां बोरी बंधान का बांध बनाया गया था। इसके बाद तीन चरणीय योजना में यहां 6 गेट का 2250 एमसीएफटी जल भरण क्षमता का पकका बांध बनाया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंम्हाराव ने इसका लोकार्पण किया। 1992 के सिंहस्थ में इसके पानी से ही काम चला। इसी समय से इसे पूर्ण उपयोग में लिया जाने लगा था।  गंभीर नदी का करीब पूर्ण हिस्सा ही काली मिट्टी से लगा हुआ है। प्रति वर्ष बारिश के दिनों में आने वाली मिट्टी से इसकी गहराई पिछले तीस सालों में कम होती गई। वर्तमान में इसकी क्षमता काफी घट गई है। डेम की उंचाई बढाने की योजना बनाने पर इसका डूब क्षेत्र बढना तय है। इस डेम की खासियत यह है कि इसके केचमेंट क्षेत्र के इंदौर –उज्जैन में अगर 24 घंटे में 6 सेंमी बारिश दर्ज की जाए तो डेम के पूरी क्षमता से भरने की स्थिति बन जाती है।वर्तमान हाल-गंभीर में जल राशि- 908 एमसीएफटीइसमें 100 एमसीएफटी पानी का उपयोग संभव नहींप्रतिदिन खपत- करीब 9 एमसीएफटीइसी में जमीन में सिपेज,वाष्पीकरण सहित अन्य शामिलनोट जानकारी मंगलवार की स्थिति में,स्त्रोत-पीएचईपानी के प्रबंधन को लेकर कवायद तेज- आयुक्तनगर निगम आयुक्त आशीष पाठक बताते हैं कि पेयजल प्रबंधन को लेकर कवायद पुख्ता और तेज कर दी गई है। हम 15 जून तक हर हाल में गंभीर से पानी देने की स्थिति में हैं उसके साथ  ही हमारे पास नर्मदा से मिलने वाले पानी की लाईन है। वर्तमान में शहर के 22 वार्ड की जल प्रदाय व्यवस्था को अमृत योजना के तहत और अधिक पुख्ता किया जा रहा है। पानी को सहेजने और उसके पूरे सद्उपयोग के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसके चलते ही नर्मदा की पाईप लाईन से आने वाले पानी को अब सीधे गउघाट प्लांट तक ले जाने की तैयारी कर ली गई है। बहुत जल्द यह लाईन गउघाट प्लांट से जोड दी जाएगी। इससे नर्मदा से आए पानी का पूरा सद्उपयोग होगा। वर्तमान में जमीनी और खुले क्षेत्र से यह पानी गउघाट तक जाता है और उसे लिफ्टकर प्लांट में शोधित कर सप्लाय किया जाता है। गंभीर में 92 एमएलडी पानी और नर्मदा से मिलने वाले 27 एमएलडी पानी से हर हाल में हम 15 जून तक शहर को पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति करेंगे। श्री पाठक का कहना था कि प्रति व्यकित पानी की खपत के मान से हम10 प्रतिशत अधिक पानी ही दे रहे हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि अगले एक दो दिन में नर्मदा का पानी मिलते ही दक्षिण भाग में भी पूरी आपूर्ति पूरे प्रेशर के साथ मिलेगी। शहर में श्री महाकाल लोक बन जाने के बाद से पेयजल की खपत भी बराबर बढी है। स्थायी रहवासियों के साथ ही आने वाले श्रद्धालुओं के मान से यह खपत सवा गूना तक हो गई है।