शिप्रा शुद्धिकरण: शिप्रा के तट पर रिसोर्ट -कॉलोनी आदि मामले पर भी करेंगे विचार
महंत डॉ रामेश्वर दास जी महाराज ने दैनिक ब्रह्मास्त्र से कहा- प्रशासन को ही चाहिए कि वह न दे ऐसी कोई अनुमति
अभी इंदौर से आ रहे गंदे पानी को क्षिप्रा में मिलने से रोकने पर है पूरा ध्यान
ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शिप्रा शुद्धिकरण की मांग को लेकर दत्त अखाड़ा घाट पर 5 दिनों तक धरना देने वाले साधु संत कल निजी वाहनों से देवास व इंदौर जा कर यह देखने वाले हैं कि आखिर किस -किस तरह से गंदा पानी आकर शिप्रा में मिल रहा है। साधु – संत शिप्रा शुद्धिकरण के लिए हर तरह से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसी से जुड़ा एक और बड़ा मुद्दा यह भी है कि शिप्रा के तट पर रिसोर्ट, होटल बनाए जाने तथा सांवराखेड़ी क्षेत्र में कालोनियां काटने की कवायद की जा रही है। मास्टर प्लान में भी सांवराखेड़ी को आवासीय करवाने का प्रस्ताव दिया गया है। यदि शिप्रा के तट पर रिसोर्ट बना और कालोनियां कटी तो जाहिर है कि उसका गंदा पानी शिप्रा में ही आकर मिलेगा। इस स्थिति पर यदि अभी ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में यह समस्या फिर खड़ी हो जाएगी। उज्जैन में इसको लेकर काफी चर्चा चल रही है। लोगों का मानना है कि किसी बीमारी को पनपने के पहले ही उसे जड़ से खत्म कर देना चाहिए। शिप्रा शुद्धिकरण के लिए प्रयासरत साधु – संत यदि अभी से इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री तथा प्रशासन से बात कर लेंगे तो इंदौर की खान नदी से आ रहा गंदा पानी, देवास के औद्योगिक क्षेत्रों से प्रदूषित हो रही शिप्रा तथा उज्जैन शहर के सीवरेज का पानी की समस्या के साथ ही साथ यह समस्या भी हल हो जाएगी, जिससे आने वाले दिनों में शिप्रा को मैली करने से रोका जा सकेगा।
जंतर मंतर के पास गऊ घाट स्थित जगदीश मंदिर परिसर में महंत डॉ रामेश्वर दास जी महाराज का कहना है कि अभी हमारा पूरा ध्यान इंदौर से शिप्रा नदी में मिलने वाले गंदे पानी को रोकने पर है, जिससे शिप्रा मैया प्रदूषित हो रही है। सांवराखेड़ी में यदि कॉलोनी कट रही है या फिर कोई होटल रिसोर्ट आदि शिप्रा के तट पर बनाए जा रहे हैं, तो इसकी जानकारी अभी मुझे नहीं है। यदि इस तरह से हो रहा है तो उसे रोकने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। प्रशासन को उसे रोकना चाहिए। इस तरह की कोई अनुमति ही नहीं देना चाहिए। भविष्य में यदि इस तरह से कुछ होता है तो उस पर भी विचार करेंगे।