विश्व गौरैया दिवस पर आयोजन : नन्ही गौरैया को फिर से शहर बुलाए अपने घर में उनका भी घरौंदा बनाए…
इंदौर । दुनिया में गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूकता लाने के उद्देश्य और गौरैया की घटती संख्या को लेकर विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।एक समय था जब नन्हीं गौरैया घर के आंगन में चहकती-फुदकती दिख जाती थी, लेकिन अब इसकी आवाज़ हमारे कानों तक नहीं पहुंचती।दिनों दिन गौरैया की संख्या में कमी आती जा रही है।गौरैया दिवस का उद्देश्य गौरैया का संरक्षण करना है। उक्त उदगार विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष्य मालवमंथन के प्रकल्प ‘पक्षी निलय’ के तहत शिक्षा अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इंदौर में आयोजित गौरैया के लिए हस्तनिर्मित घोंसला एवं उनके संरक्षण की शपथ कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो.लक्ष्मण शिन्दे ने व्यक्त किए कार्यक्रम के संयोजक स्वप्निल व्यास ने बताया की पूरी दुनिया में गौरैया के लिए यही दुखद कहानी है। बदलती जीवनशैली और वास्तुशिल्प विकास ने पक्षियों के आवास और भोजन स्रोतों पर कहर बरपाया है। चबूतरे और सारस से रहित आधुनिक इमारतें, लुप्त हो रहे घर के बगीचे और रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग से कीड़ों से साफ किए गए फसल के खेत, ये सभी गौरैया के घोंसले के स्थानों और भोजन को, विशेष रूप से बच्चों के लिए, वंचित करने में भूमिका निभाते हैं। एक सामाजिक पक्षी होने के नाते, गौरैया का मनुष्यों के आसपास ना होना बहुत बड़े खतरे की घंटी है। प्रो. वंदना जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा आज पक्षीयों के लिए संवेदना रखना ही काफी नही हमें जमीनी प्रयास भी करने होंगे उसी परिपेक्ष्य में हमने यह आयोजन किया जहां शिक्षा अध्ययनशाला के विद्यार्थियों के साथ सभी प्रध्यापको ने परिसर में हस्तनिर्मित घोंसले लगाए साथ ही दाना-पानी के लिए सकोरो की व्यवस्था भी की एवं गौरैया के संरक्षण की शपथ ग्रहण की कार्यक्रम का संचालन डॉ. जी.आर वास्केल ने किया आभार रामदास लखोरे ने माना कार्यक्रम में डॉ.परिणिता रत्नपारखी,डॉ.अनिल परस्ते, डॉ. रोचना शुक्ला, योगिता कमल के साथ विभाग के विद्यार्थी आमौजूद रहे।