मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के 100 दिन पूरे- मप्र में लोकसभा की सीटें कम हुई तो क्या सीएम की कुर्सी पर पड़ेगा असर ..?

सभी 29 सीटें जीतना बड़ी चुनौती

इंदौर/ उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन से विधायक और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. मोहन यादव के आखिरी पंक्ति से पहली पंक्ति में आने और प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने के बाद से आज (बुधवार ) 100 दिन पूरे हो गए। इन 100 दिनों में सीएम यादव को जहां कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वहीं कई उपलब्धियां भी रही। फिलहाल तो मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती भाजपा का टारगेट लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतना है। इस बात की जोरदार चर्चा है कि यदि लोकसभा में सीट कम हुई तो क्या मोहन यादव की कुर्सी पर असर पड़ेगा? इस सवाल का जवाब फिलहाल तो भविष्य में ही है, जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे।
अब तक की अपनी उपलब्धियों, सरकार में शामिल वरिष्ठ मंत्रियों से सामंजस्य से जुड़ी चुनौतियों, शिवराज सरकार के फैसलों को पलटने से लेकर लाड़ली बहना योजना से जुड़े ऐसे कई फैसले हैं जिन पर मोहन सरकार ने महत्वपूर्ण फैसले लिए।
फैसलों को लेकर अपनी सख्त छवि पर मुख्यमंत्री का कहना है कि सेहत ठीक रखने के लिए कई बार कड़वी दवा पीनी पड़ती है।
मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में डॉक्टर मोहन यादव ने अपने 100 दिन पूर्ण कर लिए हैं। सीएम डॉ यादव ने जिस मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जनता के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है, उससे पूरे राज्य में एक सकारात्मक संदेश गया है कि यह सरकार जनता की सेवा के लिए है। यह सरकार जनभावनाओं के अनुरूप विकास के पथ पर आगे बढ़ेगी।

उपलब्धियां है तो मुश्किल भी

खास बात यह है कि डॉ मोहन यादव द्वारा अब तक लिए गए तमाम निर्णयों में प्रदेश की लंबित कई समस्याओं के निदान की चिंता भी दिखाई पड़ती है।

लाउड स्पीकर बंद करने का लिया पहला बड़ा फैसला

मुख्यमंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का पहला फैसला मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थानों पर जोर से लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का रहा। इस फैसले का सभी ने स्वागत किया। प्रदेश के धार्मिक स्थलों में लगाए गए कानफोड़ू लाउड स्पीकर लंबे समय से आम जनता की परेशानी का सबब बन गए थे। चूंकि यह मामला धार्मिक था, इसलिए इसके खिलाफ कोई कुछ नहीं कर पाता था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक झटके में इस पर एक्शन लेकर अपने मजबूत इरादों को पहले दिन ही जता दिया। यही नहीं, खुले में मांस से लेकर अंडा बेचने पर भी उन्होंने रोक लगा दी।
विपक्षी दलों ने इस आदेश में भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठनों का साम्प्रदायिक एजेंडा देखा और इसे मुसलमानों के खिलाफ बताने की भी कोशिश की, लेकिन प्रदेश की आम जनता ने इसका स्वागत ही किया। क्योंकि यह नियम प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों के लिए समान रूप से लागू किया गया था। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस फैसले को देखें, तो खुल में मांस को बिक्री सेहत के लिए हानिकारक है। यही वजह रही कि जनता की तरफ से इस फैसले की सराहना हुई।

ध्वनि प्रदूषण को लेकर संजीदा

मोहन सरकार ने ध्वनि प्रदूषण के मामलों की जांच के लिए एक फ्लाइंग स्क्वॉड भी गठित किया, जो निर्धारित सीमा से अधिक ध्वनि प्रदूषण की शिकायत मिलने पर क्षेत्र में जाकर सीधे कार्रवाई कर रहा है। साथ ही धार्मिक स्थलों पर ध्वनि प्रदूषण की हर हफ्ते समीक्षा भी प्रदेश में शुरू की गई है, जिसका जमीनी असर दिखने लगा है। लाडली बहना योजना जैसी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली बड़ी व्यवस्था की चुनौती भी उन्होंने स्वीकार की और उसे कायम रखा। सरकार के समक्ष फिलहाल मध्य प्रदेश की खस्ता आर्थिक हालत भी एक चुनौती है।