चुनाव आते ही गरीब की रसोई का तेल महंगा हुआ, सोयाबीन तेल पिछले एक माह में प्रति किलो 15 से 17 रूपए बढा

उज्जैन । आम चुनाव की दस्तक के साथ ही आम धारणानुसार महंगाई ने दस्तक देना शुरू कर दी है। पिछले एक माह में ही गरीब की रसोई में उपयोग आने वाले सोयाबीन तेल के दाम में 15 से 17 रूपए प्रति किलों की वृद्धि दर्ज की गई है। बाजार की चर्चाओं के अनुसार समय पर सोयाबीन और पाम आईल का आयात नहीं होने से दाम में बढोतरी हुई है। इस दाम वृद्धि का लाभ सीधा – सीधा सोयाबीन तेल निर्माताओं को मिलेगा।

पिछले एक सप्ताह के अंदर ही सोयाबीन तेल के दाम में आग लग गई है। आठ रूपए तक दाम में वृद्धि दर्ज की गई है। जो भाव फरवरी के प्रथम सप्ताह में 92-94 रूपए तक सिमटे हुए थे उनकी स्थिति मार्च अंत के एक सप्ताह पूर्व में 107 से 109 रूपए तक पहुंच गए हैं।  इस दाम वृद्धि का सीधा असर गरीब की रसोई पर होगा। पिछले साल सोयाबीन की बंपर पैदावार और विदेशों से पॉम ऑइल की आवक के कारण सोयाबीन तेल के भाव में त्यौहारी सीजन को छोड़कर साल भर तेजी नहीं रही। भाव 90-95 रुपए किलो के आसपास ही रहे थे। वहीं इस साल फरवरी के मध्य से भाव में मामूली तेजी आना शुरू हुई जो मार्च में सोयाबीन तेल के थोक भाव में करीब 15-17 रुपए किलो का उछाल आ चुका है। व्यापारियों के अनुसार विदेशों से आने वाले पॉम ऑइल के जहाज बंदरगाह पर नहीं लगे हैं। इसके चलते सोयाबीन तेल की खपत बढ़ने के कारण भाव में तेजी हो रही है। फरवरी से बराबर भावों में बढोतरी जारी है जो रूकने का नाम नहीं ले रही है।

 

10 दिनों में 104 से 109 तक पहुंचे-

व्यापारियों के अनुसार वैसे तो सोयाबीन तेल के भाव बढ़ने का कोई कारण नहीं है, क्योंकि मंडी में सोयाबीन आ रही है और ऑइल मिल के पास स्टॉक भी है। लेकिन सोयाबीन तेल के भाव पॉम ऑइल की उपलब्धता पर निर्भर रहते हैं। मार्च मध्य तक विदेशों से आने वाले पॉम ऑइल के जहाज बंदरगाहों पर नहीं लगे हैं। ऐसे में आपूर्ति बाधित होने पर सोयाबीन तेल की खपत बढी है। इसके कारण से फरवरी प्रथम सप्ताह से भाव बढाना शुरू हो गए थे। 02 फरवरी को जो सोयाबीन तेल92-94 रूपए चल रहा था वह मार्च के दुसरे सप्ताह के मध्य में 104 रूपए तक पहुंच गया। 10 मार्च से अचानक भाव में उछाल आया। यही कारण है कि पिछले सप्ताह थोक में 104 रुपए किलो वाला सोयाबीन तेल 107-109 रुपए किलो तक पहुंच गया है। माह के अंत तक भाव काबू होना मुश्किल है। थोक व खेरची व्यापारियों के अनुसार मार्च 2023 में सोयाबीन तेल के थोक भाव 120 से घटकर 112 रुपए किलो हो गए थे। अप्रैल से 15 जुलाई 2023 तक भाव 90 से 102 रुपए के आसपास रहे। इसके बाद साल के अंत में भाव 105 रुपए किलो के आस-पास रहे। 15 फरवरी 2024 तक थोक भाव 96-98 रुपए किलो के आसपास पहुंच गए। इसके बाद भाव में तेजी देखने को मिली जो जारी है। फरवरी 2024 के प्रथम सप्ताह में ही भाव 92-94 रूपए किलो थे।

सोयाबीन का उपयोग सर्वाधिक-

रसोई में सबसे ज्यादा सोयाबीन तेल का उपयोग कर रहा है। इसके चलते इसकी खपत ज्यादा है। गरीब वर्ग की पहुंच में इसके भाव होने से यह सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। उच्च मध्यमवर्ग तो आज भी मुंगफली का तेल रसोई में उपयोग कर रहा है। इसके चलते इसकी खपत सर्वाधिक है। अधिकांश बिजनेस टारकून सोयाबीन के धंधे में लिप्त हैं।

पॉम आइल नहीं आने से बढे भाव-

बाजार में व्यापारी बता रहे हैं कि मार्च अंत तक भाव में मामूली वृद्धि संभावित है। इसके बाद वृद्धि पाम आईल आने के बाद रूकेंगी और जैसे – जैसे पाम आईल उपयोग के लिए बाजार में तेजी से आएगा भाव में कुछ कमी संभावित है। पाम आइल के जहाज समय पर नहीं आए जिसके कारण सोयाबीन तेल के दामों में तेजी आई है। बंदरगाह पर पॉम ऑइल के जहाज लगने के बाद भाव में कमी आएगी। फिलहाल भाव कम होने के आसार नहीं है।