शिप्रा शुद्धिकरण : बोले महामंडलेश्वर ज्ञानदास जी महाराज- उज्जैन में पूरे मेला क्षेत्र का अधिग्रहण करना चाहिए

महात्मा नहीं चाहते किसी का घर टूटे लेकिन कम से कम नया तो मत बनने दो

दैनिक ब्रह्मास्त्र का मुद्दा : शिप्रा तट व उसके आसपास कॉलोनी कटेगी या होटलें बनेंगी तो उसका गंदा पानी भी शिप्रा में ही मिलेगा, तब शिप्रा मैली की मैली ही रह जाएगी

ब्रह्मास्त्र उज्जैन। शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर साधु- संत अपनी ओर से अथक प्रयास कर रहे हैं। धरना भी दे चुके। सरकार से मांग भी कर चुके और गंदा पानी कैसे और कहां से आता है, इसे देखने और इसकी रिपोर्ट बनाने के लिए आज इंदौर – देवास दौरे पर भी हैं। इसके अलावा एक और समस्या इसी से जुड़ी हुई है। उज्जैन शहर के सीवरेज का पानी भी शिप्रा में ही मिलता है। यह समस्या तो अभी दूर हुई नहीं है और मास्टर प्लान में सांवराखेड़ी आदि क्षेत्रों को आवासीय करने, कालोनियां काटने तथा शिप्रा तट पर रिसोर्ट, होटल आदि बनाए जाने की योजना को लेकर भी चर्चाएं हैं। यदि शिप्रा के आसपास और खासकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र में उपयोग में आने वाली भूमि पर यदि इस तरह के निर्माण हुए तो उनका गंदा पानी भी शिप्रा में ही आकर मिलेगा। जो भविष्य के लिए फिर नई मुश्किल खड़ी करेगा, और शिप्रा मैली की मैली ही रह जाएगी। यह समस्या जब महामंडलेश्वर ज्ञानदास जी महाराज को बताई तो उनका कहना है कि किसी एक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि शिप्रा के आसपास दूर-दूर तक कालोनियां कट गई हैं। संतों को सिंहस्थ के समय इससे परेशानी आती है। जब दूर-दूर तक शिविर लगते हैं तो कई संत स्नान किए बिना रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि पूरे मेला क्षेत्र को जहां-जहां तक मेला भराता है या उसका उपयोग होता है, उसका अधिग्रहण करना चाहिए। इन क्षेत्रों में किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं देना चाहिए। अखाड़ा परिषद हो या षटदर्शन संत समाज सभी का पहले से ही कहना है कि सिंहस्थ क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त करो। सबको मुआवजा देकर अलग बसाना चाहिए। महात्मा नहीं चाहते हैं कि किसी का घर टूटे, पर कम से कम नया तो मत बनने दो। संतों की इच्छा है कि लोग पवित्र जल से आचमन करें और स्नान करें । यही साधु संतों का प्रयास है।