खुसूर-फुसूर काम धकाना ही काम …
दैनिक अवंतिका उज्जैन खुसूर-फुसूर
काम धकाना ही काम …धर्म नगरी में इन दिनों हर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को ऐसे निभा रहा है जैसे उसे काम धकाने का ही काम दिया गया हो। न निती न नियम का पालन हो रहा है न ही उसके अनुसार ही काम हो रहा है। ऐसे एक नहीं सैंकडों उदाहरण सामने धडाधड आ रहे हैं। और तो और खुद जिम्मेदार ही काम धकाना ही काम जैसे मामले खुद प्रचारित प्रसारित करवा रहे हैं। खास तो यह है कि चौथा स्तंभ में बैठे फोरे जिम्मेदार इसे देखते हुए भी इस पर आपत्ति न लेते हुए जमकर प्रचार प्रसार और उसे महत्व दे रहे हैं। शासन-प्रशासन के काम निती और नियम के अंतर्गत होते हैं। इसे भी अनदेखा किया जा रहा है। मंदिर से लगाकर तो जन्म से मृत्यु तक संबंध रखने वाले स्थानीय शासन का काम हो या फिर प्रशासनिक क्षेत्र का काम अधिकांश ऐसे मामले चर्चाओं में हैं। खुसूर-फुसूर है कि ऐसा ही चलता रहा तो इसे अराजकता की स्थिति की और आगे बढने की स्थिति ही कहा जाएगा। काम चलाने का काम के तहत आमजन को राहत नहीं आगे आने वाले समय में आफत मिलेगी। आचार संहिता के तहत तो निती एवं नियमों के तहत ही काम होना चाहिए । इस बात का भी खास ध्यान रखा जाना चाहिए की यह मुख्यमंत्री का गृह जिला है। यहां की गई कार्रवाई में निती नियम प्रदेश में नजीर के रूप में उपयोग की जाएगी।