खुसूर-फुसूर जांच ही नहीं व्यवस्था बनाना भी काम…
खुसूर-फुसूर
दैनिक अवन्तिका ब्रह्मास्त्र उज्जैन। जांच ही नहीं व्यवस्था बनाना भी काम…आचार संहिता लगने के साथ ही पुलिस एवं प्रशासन का काम बढ गया है। चौराहों- चौराहों पर जांच का काम किया जा रहा है। शहर के आंतरिक भागों के साथ ही बाहरी मार्गों पर भी यही काम किया जा रहा है। निर्वाचन के विभिन्न दलों में एसएसटी दल ,एफ एस टी दल अपने कामों में लगे हैं। शाम होते ही विभिन्न थाना पुलिस भी सक्रिय हो जाती है। जांच का काम चौराहों-चौराहों पर शुरू हो जाता है। इसके तहत ढेर सारे पुलिस कर्मी चौराहों पर संबंधित अधिकारियों के साथ मौजूद होते हैं। बेरिकेड लगाकर वाहन चालकों को रोका जाता है। इस सब में मार्ग अवरोध की स्थिति बन जाती है। जांच के दौरान आधा से एक दर्जन पुलिस एवं प्रशासन के कर्मी जांच तो करते हैं पर मार्ग अवरोध की स्थिति में अपनी भूमिका को भूल रहे हैं। जबकि इनका काम आमजन मतदाता की सेवा करने का भी आचार संहिता में होता है। खुसूर-फुसूर है कि शासकीय कर्मचारी लकीर का फकीर होता है उसे जितना कहा जाता है उतना ही वह करता है। आमजन की परेशानी की समझ को समझने का उसे कोई सरोकार नहीं होता है। आजादी के बाद से आज तक यह लकीर का फकीर नहीं बदला है । इसकी इबादत कुर्सी के प्रति होती है आम जन के प्रति नहीं । जिस दिन इसकी इबादत आमजन से हो जाएगी उसी दिन भारत में असल लोकतंत्र आएगा।